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Wednesday 12 February, 2020

मीरानपुर कटरा में निशांत दास पार्थ से मेरा भारत महान व विश्व सरकार तक!!

मीरानपुर कटरा में निशांत दास पार्थ के प्रयत्न सराहनीय हैं। कींचड़ में ही कमल खिलता है।हम अपने आस पास व क्षेत्र में देखते है कि हर कोई जातिवाद, मजहबवाद,लोभ लालच आदि में फंस कर नई पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक वातावरण नहीं सौंप पा रहे हैं। जुंआ, माफिया गिरी, दारू, थाना राजनीति आदि के ही बीच मासूमियत पल्लवित विकसित हो रही है। क्षेत्र के दबंग, माफिया, जातिबल, धनबल आदि सब किसी न किसी नेता के घर से होकर गुजरते हैं। ऐसे हालत पूरे देश के अंदर स्थानीय स्तर पर है।कोई भी नेता ईमानदार नौकरशाही, अफसर शाही ,पत्रकारिता आदि के समर्थन में खड़ा नहीं देखा जाता। न ही आम आदमी समस्याओं से जूझना चाहता है।


   एक ओर पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है।आखिर भारत में ऐसा क्या है,जिस कारण से भारत विश्व की निगाह में है।दलाई लामा भी कहते है,दुनिया के मुसलमानों को भारत को अपना गुरु बनाना चाहिए।आखिर ऐसा क्या है,भारत में जो अनुकरणीय है? भारत मे कुछ तो ऐसा है जो विश्व को अनुकरणीय है। वही हमारी अर्थात भारतीयों की महानता है। उसी महानता को हमें पकड़ने की जरूरत है।


  निशांत दास पार्थ ठीक कहते हैं, हमें महानताओं को हर वक्त पकड़ कर रखना है।यदि हम ऐसा कर लें तो हम 02 प्रतिशत से होकर ज्यादा हो जाएंगे। फिर पांडव पांच ही होते हैं, महाभारत से पूर्व बनबास हो सकता है लेकिन महाभारत वक्त श्रीकृष्ण रूपी आत्मा.. परम् आत्मा हर वक्त हमारे साथ रहे, यही हमारी महानता है। दुर्योधन कभी भी श्रीकृष्ण को नहीं चाह सकता।,वह तो संसाधन ही चाहेगा।हमारी महानता हमारी आत्मा, आत्मा की शक्ति है,हमारे सन्त, सन्तों की वाणियां हैं। पाकिस्तान में दो प्रतिशत हिन्दू बचे हैं। उनसे पूछो महानता क्या होती है?सद्भावना क्या होती है। कल ही हमने उनमे से एक युवा भाई से बात की, उससे पूछो मानवता, सद्भावना व चीत्कार करती मानवता का दर्द।



    महानता को प्रदर्शित क्या करता है?हमारी अमीरी, हमारा शिक्षित होना, हमारा स्वस्थ होना, हमारा ईश्वर को मानना न मानना आदि आदि?नहीं, हमने इसको भी देख लिया।ये सब ढोंग पाखण्ड बन सिर्फ।।हमारी महानता को प्रकट करता है-हमारा नजरिया, मन प्रबन्धन व आचरण प्रबन्धन।गीता से भी यही स्पष्ट होता है,कुर आन से भी। कुर आन की शुरुआती आयतें भी कहती हैं- धरती पर प्रशंसा योग्य कुछ भी नहीं सिर्फ खुदा के सिवा। इसके लिए रास्ता  आत्मा से जाता है, मन प्रबन्धन व आचरण प्रबन्धन से जाता है।
परम्+आत्मा=परमात्मा; हमारे द्वारा परम् आत्मा ही महानता घटित करवा सकती है।इसको हमारी शिक्षा, योग पूर्ण शिक्षा व आचरण ही हमारी महानता स्थापित करती है।अनेक ग्रन्थों से यही स्पष्ट होता है। अट्ठानवे प्रतिशत उस महानता को देख ही नहीं पा रहे हैं।उनका उस पर आचरण, प्रयत्न, प्रयोग तो बड़ा मुश्किल।इस लिए योग जरूरी है।मन चंगा तो कठौती में गंगा, कुम्भ में सागरसागर में कुम्भ.,वसुधैब कुटुम्बकम,सर्वेभवन्तु सुखिनः..... आदि की स्थिति योग से ही सम्भव है। जो अपने भौतिक विकास के लिए,अपनी जाति अपने मजहब के लिए, लोभ लालच के लिए दूसरे को कष्ट देने को भी नहीं चूकते तो इसका मतलब है उनका नजरिया ही गलत है।वह योग शिक्षा से ही सम्भव है। यूनेस्को, संयुक्त राष्ट्र संघ भी2002ई0 को मूल्य आधारित शिक्षा की वकालत कर चुका है।


      विद्यालय व शिक्षक, विद्यालय व शिक्षकों प्रति संस्थाओं व सरकारों का रवैया, प्रशासन व पुलिस ने की मदद, नौकरशाही व नेताशाही पर नियंत्रण व प्रशिक्षण आदि से ही ये सम्भव है। इस हेतु पुलिस, शिक्षक व संविधान रक्षक संस्थाओं की मिलीभगत की सक्रियता को क्रांतिकारी कानून की आवश्यकता है।जिसे कि ज्ञान व संविधान आधारित वातावरण बन सके व वैचारिक क्रांति, मानसिक क्रांति हो सके।इसमें योग ही सहायक है।


   योग ही हमें सन्तुलन करना सिखाता है। वह हमें बताता है-हमारे अंदर ईश्वर है।दूसरों के अंदर ईश्वर है। हमारे अंदर जो दिव्य है वह कैसे विस्तार पा सकता है?हम व जगत के तीन रूप हैं-स्थूल, सूक्ष्म व कारण।हमें पहले अपने को पहचानना जरूरी है।हम कौन हैं?हमारे हाड़ मास शरीर को एक दिन मर ही जाना है। जीवन पथ पर रोज हजारों आते हैं और जाते है। हमें महानताएं महान बनाती है।महान हमारा हाड़ मास शरीर नहीं आत्मा है।उसे परम् हो जाने का अबसर योग ही है।हमारे नजदीक हमारी विश्व सरकार है -हमारी आत्मा।जो किरण है, लहर है।जो सूरज स्वयं सूरज है,जो स्वयं सागर है। यही से विश्व बंधुत्व, विश्व सरकार, अखण्ड भारत/दक्षेस सरकार का स्वप्न उजागर होता है।


कटरा विधान सभा क्षेत्र से एक अलख जग सकती है,जो संयुक्त राष्ट्र संघ व अमेरिका आदि तक भी जा सकती है। पांच पांडव ही काफी हैं, पंच प्यारे ही काफी हैं......
#अशोकबिन्दु
#nishantdas
parth

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