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Saturday 14 April, 2012

नक्सली कथा : अनुशासनहीनता

 नक्सली कथा : अनुशासनहीनता
उत्तर प्रदेश के जनपद सोनभद्र का एक गांव कुर्मेठानवीपुर जो
सुन्दरी शहर से बीस किलोमीटर , के प्राईमरी स्कूल मेँ एक शिक्षक थे -
दिव्यसुत जाटव . स्कूल के हेडमास्टर व अन्य अध्यापिकाओं का वह कोई सहयोग
नहीं करता था शिक्षण कार्य व अपने दायित्वों के निर्वाह सिवा . इस कारण
हेडमास्टर, अध्यापिकाएं व ग्रामप्रधान उस पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाते
रहते थे. ग्रामप्रधान के विरोधी ग्रामीण उसके सहयोग के लिए तैयार रहते थे
लेकिन वह उनका सहयोग लेना पसंद नहीँ करता था सिवा कुछ तटस्थ व ईमानदार
ग्रामीणोँ के सिवा .

स्कूल मेँ विभिन्न कार्योँ के लिए आया धन जो ग्रामप्रधान के सहयोग
से हेडमास्टर व अध्यापिकाएं हजम कर जाती थीं,का कुछ हिस्सा दिव्यसुत जाटव
को भी देने की कोशिस की गयी थी जब वह यहां नियुक्त हुआ था .

डेढ़ साल बाद असंतुष्टि व असंतोष के बीच से निकल कर वह डायट
मेँ आ गया.बोर्ड परीक्षा के दौरान उसे टीम एक साथ परीक्षाकेन्द्रों के
निरीक्षण पर लगा दिया गया था .

* * *

उस दिन 19 नवम्बर 2017 !

मुरी शहर की मुख्य सड़केँ इन्दिरा गांधी से सम्बंधित पोस्टरों
एवं कांग्रेसी झण्डों से सजी थी .एक मकान की तीसरी मंजिल से एक युवक ललक
यादव खिड़की से पर्दा हटाकर नीचे सड़क पर गुजरती बच्चों की रैली देख रहा
था.उसकी प्रेमिका गौरी उसके समीप खड़ी थी.कुछ मिनट के लिए वह गौरी की
बाँहों मेँ था लेकिन मन एक षडयंत्र मेँ ...?! एक घण्टा बाद वह रिवाल्वर
लिए अपने भाई मर्म यादव के सामने था.

आखिर मर्म यादव के अत्याचारों से नगर को मुक्ति कौन दिलाता ?शासन
प्रशासन भी सुनने को तैयार न था कुरुशान (गीता) से धर्मयुद्ध की सीख
लिया ललक यादव कि धर्म के रास्ते पर अपना कोई नहीँ होता.ललक यादव अब जेल
मेँ था.उसे कुछ दिनोँ के लिए प्रशासनिक पूछताछ के लिए सुन्दरी शहर लाया
गया था .जहाँ एक दिन उसे प्रशासन को रोकना पड़ा .दिव्यसुत जाटव से उसकी
मुलाकात हुई .


मनमानी पर खड़ा तंत्र . जिसमेँ सहयोग न करना तंत्र के मुखियाओं ने
आजकल अनुशासनहीनता मान लिया है और इस अनुशासनहीनतंत्र के खिलाफ जो अपनी
अंगुली टेंढ़ी कर लेता है वह इन मुखियाओँ की नजर मेँ नक्सली हो जाता है या
अच्छा नहीँ रह जाता है .सत्य को मुँह पर कहने वाला परिवार ,समाज व
संस्थाओँ मेँ लोगोँ की नजर से उतर जाता है .


बोर्ड परीक्षा के दौरान दिव्यसुत जाटव अपनी टीम के साथ एक
परीक्षा केन्द्र - 'अमर बालेन्द्र विद्यावती इण्टर कालेज,मिर्जापुर
कल्याण,जिला सोनभद्र ' मेँ जीप से प्रवेश किया तो कालेज मेँ शान्ति छा
गयी .
जब जीप से दिव्यसुत जाटव नीचे उतरा तो लोगों ने चैन की साँस ली .


लेकिन क्योँ ....?
आज से पांच वर्ष पूर्व सन 2012 ई0 मेँ दिव्यसुत जाटव इसी कालेज मेँ
अध्यापक था.ये कालेज तथाकथित बनियोँ व ब्राह्मणोँ के निजी सोंच सोंच से
चल रहा था.जहां लोकतांत्रिक व संवैधानिक मूल्योँ से हटकर मनमानी,जातिवाद
,चापलूसी ,हाँहजूरी,टयूशन,अभिभावक प्रधानता,आदि का वर्चस्व था.उनकी
व्यवस्था मेँ सहयोगी न होने के कारण दिव्यसुत जाटव पर अनुशासनहीनता के
आरोप थे.एक वर्ष बोर्ड परीक्षा के ही दौरान एक दिन इसी कालेज मेँ वह
डयूटी कर रहा था .परीक्षाकक्ष मेँ उसके साथ एक अन्य अध्यापक डयूटी कर रहे
थे जो कुछ परीक्षार्थियोँ की नकल मेँ मदद कर रहे थे. दिव्यसुत जाटव ने
उन्हेँ अनेक बार टोंका लेकिन वे अपनी हरकत से बाज नहीँ आये.जब वे एक
बच्चे की कापी ही लिखने लगे तो दिव्यसुत जाटव को न रहा गया और वह कक्ष से
बाहर आ गया.

"मैँ यहाँ डयूटी करने आया हूँ ,नकलचियोँ व नकलमाफियाओँ की हरकतोँ पर मौन
रहने नहीँ."

लेकिन दिव्यसुत जाटव की कोई मदद नहीं . हाँ , अगले दिनों उसे
परीक्षा डयूटी पर अवश्य नहीँ लगाया गया और अगले वर्ष बोर्डपरीक्षा के
दौरान अन्यत्र परीक्षाकेद्र पर रिलीव दिया गया जहाँ तो ओर भी हालत नाजुक
.पहले दिन डयूटी के बाद वह फिर आखिरी दिन पहुँचा .

"डयूटी ,कैसी डयूटी ?नकलचियों व नकलमाफियों की सेवा करना डयूटी ? "

दिव्यसुत जाटव जीप से निकलकर अपनी टीम के साथ आगे बढ़ गया.आगे बढ़कर
एक उस कमरे के सामने जा पहुँचा जिसके दरबाजे पर ताला लगा था.

"इसे खुलवाओ ."
कालेज मेँ काफी फोर्स आ पहुँची.
"चाबी कहीँ खोगयी है "

"झूठ मत बोलो ,हम जैसे अनुशासनहीन व्यक्ति बोलेँ तो ठीक है ."

सिपाहियोँ ने आकर ताला तोड़ दिया .कमरे के अंदर बैठे एक अध्यापक को
गिरफ्तार करवाते हुए "कापी और पेपर कहाँ है ? "
"झूठ मत बोलो ,असलियत लाखोँ लोगों तक पहुंच चुकी है .प्रत्येक कमरे
मेँ कैमरे फिट हैं ."

इसके बाद -
सभी कक्षनिरीक्षकों व केन्द्रव्यवस्थापक को गिरफ्तार कर लिया गया और
केन्द्र को निरस्त कर दिया गया.

दिव्यसुत जाटव बोला -"तुम्हारे तंत्र मेँ मैँ अनुशासनहीन था लेकिन
अब मैँ स्वयं अपना तंत्र खड़ा कर चुका हूँ और अपनी एक प्राइवेट जासूस
एजेंसी बना चुका हूँ "