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Sunday 17 July, 2011

गौरवशाली भारत का गौर�� दलित पिछड़ोँ के पूर्व���ों के हाथ ...?!

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From: Akvashokbindu <akvashokbindu@gmail.com>
To: <akvashokbindu@yahoo.in>
Date: गुरुवार, 14 जुलाई, 2011 6:53:21 अपराह्न GMT+0530
Subject: गौरवशाली भारत का गौर�� दलित पिछड़ोँ के पूर्व���ों के हाथ ...?!

पिछड़ी जाति के हमारे एक मित्र हैं.जो आज के क्षत्रियों को लेकर बड़े खिन्न रहते हैं.वे कहते हैं कि इन क्षत्रियों को पिछड़ी व दलित जाति का इतिहास जानने की जरुरत नहीं है.विहिप अध्यक्ष अशोक सिंघल की एक पुस्तक लिखती है कि दलित व पिछड़ी कही जाने वाली कभी क्षत्रिय हुआ करती थीँ.वर्मा क्षत्रियों की प्राचीन उपाधी थी.आज की सिंह उपाधि का इतिहास एक हजार वर्ष से पुराना नहीं है.इससे पहले किन किन उपाधियों का प्रयोग किया जाता था?जिन उपाधियों का प्रयोग किया जाता था,उन उपाधियों को धारण करने वाले क्या आज दलित पिछड़ी जाति में नहीँ जी रहे?ऐ आज के क्षत्रियों व ब्राहमणों जरा भागवत पुराण,आदि में वर्णित वंशावलियों पर अनुसंधान तो कराओ.एक ही राजा के चार पुत्र होते हैं,एक से जो वंश चलता है वे ब्राहमण कहलाते हैँ,एक से जो वंश चलता है वे क्षत्रिय कहलाते हैँ.उस वक्त जाति नहीं वर्ण व्यवस्था थी.सात सौ वर्ष पहले का इतिहास आज के दलित व पिछड़ों के पुरखोँ के हाथ में था ही,वाद के भी कुछ राजाओं की वंशावलिया खंगालने से पता चलता है कि वे आज की दलित पिछड़ी जाति के पूर्वज थे.इन पन्द्रह सौ वर्षों का इतिहास हाँ हजूरी,चापलूसी,आपसी द्वेष व फूट,आदि का इतिहास है.क्षत्रिय महासभा मेँ महाराणा प्रताप ,श्री कृष्ण,शिवा जी,आदि को क्षत्रिय मान कर सम्मान देने वाले जरा अन्वेषण तो कराये कि इनके भाई बन्धु व परिजन क्या आज के दलित पिछड़ों के पूर्वज नहीं थे.आज की आदिवासियों,जनजातियों का जरा इतिहास तो खंगाल कर देखिये.आज के वाल्मिकियों का इतिहास खंगालने की कोशिस तो कीजिए.आज के यादवोँ,कुर्मियों,कुशवाहों,मौर्यों ,आदि का इतिहास तो खंगालने की कोशिश तो कीजिए.


प्राचीन काल में क्षत्रियों की एक उपाधि थी-वर्मा या वम्मा.अभी चन्द दिनों पहले से पद्मानाभस्वामी मंदिर चर्चे में है.त्रावणकोर राज्य को स्वर्णिम राज्य बनाने बालों के वंशज आज कौन हैं?मौर्य साम्रज्य को खड़ा करने वाले ,गुप्त वंश ,चोल,आदि वंश के लोग आज कहाँ है?आज से पन्द्राह सौ वर्ष पहले के राजवंशों के वंशी क्या आज के क्षत्रियों में स्थान पाये है?महाभारत काल मेँ तक की जन जातियां महाभारत के अनुसार क्षत्रिय ही थे.

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