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Saturday 26 March, 2011

हजरत दूल्हा मियां के उर्स( 23 - 26 मार्च2011ई0) पर चिन्तन !


Sent: Sat, 26 March, 2011 3:13:13 AM
Subject: हजरत दूल्हा मियां के उर्स( 23 - 26 मार्च2011ई0) पर चिन्तन !

धर्म व अध्यात्म प्राणियों के बीच द्वेष व मतभेद नहीं रखता.हम हिन्दू हो या मुसलमान या अन्य,सेवा व दया भाव का जिक्र सभी जगह पर मिलता है.मन्दिर, मस्जिद, आदि धर्मस्थल व सम्प्रदाय ,आदि तो सनातन यात्रा के विभिन्न स्तरोँ ,चक्र,लतीफ,system,आदि के आधार पर पड़ाव है,हमारे अन्तस्थ धर्म के.


जन्म के बाद
इस संसार मे अन्तस्थ यात्रा का पहला पड़ाव है-स्थूल,मूलाधार चक्र अर्थात reproductory.हमे लगता है अधिकतर लोग इसी स्तर पर आकर रुक गये हैँ.शहद के बर्तन मेँ चिपकी मधुमक्खी की तरह हो गये हैं,जो चिपक मे ही आनन्दित हो भूत व नरकीय योनि की सम्भावनाओं मेँ जी रहे है.'लतीफा-ए-उम्मुद-दिमाग 'अर्थात सहस्राधार चक्र तक की यात्रा का ख्वाब तक नहीं रखते .इनमे से कुछ यल्ह अर्थात अल्हा का अपने भौतिक दुखों व भौतिक लालसाओं के कारण स्मरण संसार की निर्जीव वस्तुओं से निर्मित चित्रों, मूर्तियों, मजारों ,मजहब- स्थलों ,आदि में उलझ कर रह जाते है. वे यह नहीं जानते कि आत्मसाक्षात्कार के बिना हम यल्ह तक नहीं पहुंच सकते.




इससे हट कर अपने ईमान पर पक्का होना क्या गलत है?मुसलमान का अर्थ क्या है ?अपने ईमान पर पक्का होना न ! क्षेत्रीयता(हिन्दू शब्द की शाब्दिक परिभाषा में जायें) ,जाति,छुआ छूत,मजहब स्थलों,सम्प्रदाय,मूर्तियां,आदि से ऊपर उठ कर इन्सानियत,दया,सेवा,आत्म साक्षात्कार,अपने पराये भाव से मुक्ति,नमाज (सूर्य नमस्कार) ,दान,हज,आदि के माध्यम से यल्ह अर्थात ईश्वर तक पहुंच सकते हैं.



सऊदी अरब की मक्का मस्जिद के इमाम ए हरम शेख अब्दुर रहमान बिन अब्दुल अजीज अल सुदेस ने कहा कि दुनिया को इस वक्त अमन की सर्वाधिक दरकार है.इसी रास्ते पर चल कर इंसानियत महफूज रह सकती है.अमन की पहल मुसलमान करें.



वास्तव में जो अपने ईमान पर पक्का है ,वही दुनिया में अमन चैन व बसुधैव कुटुम्बकम की बात कर सकता है.तमाम मुल्कों के शरहदों को नकारते हुए दुनिया के इन्सान की हिफाजत की बात वही सोंच सकता है जो अपने ईमान पर पक्का है.हमे इस पर चिन्तन करना चाहिए कि तमाम मुल्कों की शरहदें आम आदमी के लिए खोल देनी चाहिए.शरहदें सिर्फ प्रशासनिक हों.



सच्चे मुसलमान थे मोहम्मद साहब लेकिन उनके गुजर जाने बाद सनातन यात्रा मेँ रुकावट आ गयी .इसके बाद मुस्लिम सम्प्राय तो बढ़ा लेकिन सनातन धर्म के यात्रा में रुकावट आ गयी.समूर्ण इंसानिय त के स्थान गुट,मस्जिद ,मजारों,आदि पर इनके अनुयायी भी आ टिके.अन्तर्यात्रा में रुकावट आ गयी.




दुनिया मे हमे एक ऐसा मंच चाहिए जहाँ गैरमुसलमानों का भी अपना दर्जा हो.हम आगे बढ़ गये है,अगले पड़ावों की ओर बढ़ रहे हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम निचले पड़ाव पर खड़े व्यक्तियों को वक्त न देँ. जो अ, आ ,इ ,ई,......ध्वनियां सीखने के लिए अमरुद,आम,इमली,ईख,.......आदि में उलझे हैं ,उनका हम विरोध भी नहीं कर सकते.




बरेली,उप्र में प्रस्तावित श्री अर्द्धनारीश्वर शक्तिपीठ के संस्थापक श्री राजेन्द्र प्रताप सिंह (भैया जी) से 20 दिसम्बर 2010ई0 को मुलाकात हुई,सब कुछ ठीक था.ईमान पर पक्के होने की बात उनमें थी ,वहां ओम तत् सत् की बात थी.लेकिन हम चित्रों ,मूर्तियोँ ,धर्म स्थलों ,आदि मेँ क्यों उलझें ?लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं कि बच्चों को काफिर कह उनसे द्वेष रखें.हाँ,वे अभी बच्चे ही हैं जो कि चित्रों ,मूर्तियों, मजारोँ ,धर्म स्थलों ,आदि में उलझे हैं,उनसे मुख मोड़ लें. उन्हें भी प्रेम व स्नेह दो .इसका फायदा भविष्य में हो सकता हैँ.चलो ,यह तो है कि वे ईश्वर को याद तो कर रहे है.शायद भविष्य मेँ वे शेष अगली यात्रा तय कर सकें?



इन दिनों यहां मीरानपुर कटरा में महान प्रसिद्ध सूफी संत हजरत सैय्यद दूल्हा मियां कलीमी व हजरत सैय्यद मसरुर मियां कलीमी का 23मार्च से सालाना उर्स चल रहा है.जहां बंगाल ,बिहार ,कलकत्ता ,मुम्बई ,दिल्ली सहित तमाम प्रान्तों से हजारों की संख्या में जायरीनों का आना चालू है.जिसके इन्तजाम में कुछ गैरमुस्लिम भी लगे हैं.सम्पूर्ण व्यवस्था प्रमुख रूप से दरगाह मुतावल्ली हजरत सैय्यद मसूद अहमद कलीमी देख रहे हैं.बंगाल के कुछ जायरीन से मैने मुलाकात की ,उन्होने माना कि दुनिया के तमाम मजहब तो रास्ता हैं जो इंसान को सनातन धर्म की यात्रा पर डालते हैं.दोष तो इंसान में होते हैं कि वे आत्मसाक्षात्कार को न पकड़ संसार की निर्जीव वस्तुओं के सहारे आगे की यात्रा न तय कर निर्जीव वस्तुओं या संसार में उलझ कर रह जाते हैं और आगे की यात्रा तय न कर खुदा से सम्बन्ध स्थापित नहीं कर पाते.



ASHOK KUMAR VERMA'BINDU'



miranpur katra,

shahjahanpur,U.P.

भारत स्वाभिमान यात्रा / ट्रस्ट !



भारत स्वाभिमान यात्रा / ट्रस्ट !



यहाँ पर तीन शब्द - भारत,स्वाभिमान यात्रा /ट्रस्ट.



भारत !


भारत यानि कि भा रत,प्रकाश मे रत.
ज्ञान मे जो रत है, वह भारत है.सृष्टि के वाद प्रकृति अनुशीलन व प्रकृति से भय ने मनुष्य मे भक्ति पैदा की .भक्ति के दो मार्ग पैदा हुए -सगुण व निर्गुण.प्रकृति पांच तत्वों से निर्मित होती है-अग्नि,आकाश, जल,वायु और पृथ्वी.इन्हीं पांचो तत्वों को आदि भक्तों ने सम्मानित किया.जो ज्ञान उत्पन्न हुआ,सिन्धु के इस पार नाम दिया गया-वेद.जिसे ऋग्वेद मे संकलित किया गया,सिन्धु के उस पार अवेस्ता मे .सनातन ज्ञान ने सत का आभास दिया . जिससे सत तक की यात्रा व अन्तर्यात्रा का मार्ग प्राप्त हुआ.मानव को महामानव बनाने व वेदान्त तक की यात्रा का प्रबन्धन-ऋग्वैदिक संस्कृति के माध्यम से.ओशो ने कहा है ,'भारत सनातन यात्रा का नाम है' .भा रत अर्थात ज्ञान मे लीन सदा गतिशील रह कर यात्रा करते रह ही सत तक पहुंच सकता है.तरंगों,ऊर्जा ,प्रकाश , ऊष्मा,आदि का स्वभाव होता है -गतिशीलता. चक्र अर्थात SYSTEM अर्थात लतीफ,सूफी सन्तों ने चक्र को लतीफ कहा है- मूलाधार,स्वाधिष्ठान,मणिपूर, हृदय ,अनाहत, आज्ञा,सहस्रार .यह चक्र व इन चक्रों से ऊपर उठना भी एक यात्रा है.एक सूफी सन्त कहता है कि मेरा धर्म है-अन्तर्यात्रा.



स्वाभिमान !

स्वाभिमान शब्द दो शब्दों से बना है-स्व व अभिमान. ' स्व ' क्या है? 'स्व' है -आत्मा या परमात्मा.
स्व तक हम नैतिकता व कानूनों के माध्यम से पहुँच सकते हैं .कानूनों में यदि कमियां हैं तो उनमे सुधार किया जाता है.



यात्रा!
गतिशीलता शाश्वत नियम है.मानव की दो यात्राएं है-स्थूल यात्रा व अन्तर्यात्रा.




अपना ट्रस्ट यानि कि अपना लक्ष्य !


दुनिया मे अपना सर्वश्रेष्ठ परिवार वह होता है ,जो कि अपना लक्ष्य समूह होता है.लक्ष्य समूह क्या है?वह समूह जिसके सदस्यों का एक विशेष लक्ष्य समान होता है .




शेष फिर-



ASHOK KUMAR VERMA'BINDU'



A.B.V.INTER COLLEGE,


meeranpur katra,

shahjahanpur. U.P.

लोहिया जन्म शताब्दी वर्ष



देश लोहिया जन्मशती मना रहा है.



तरुण विजय के अनुसार सबने अपने अपने लोहिया थामे हुए हैं.लोहिया ने भारत के तीन स्वप्न शिव,राम और कृष्ण गिनाए थे.कैलाश मानसरोवर वापिस लेने की बात की थी.पूर्वांचल को उर्वशीयम के रूप से व्याख्यायित करने वाला उनका लेखन रोमांचित करता है.उनमे राजनीतिक साहस था.सो दीनदयाल उपाध्याय के साथ संयुक्त बयान भी दे सके,अखण्ड भारत के संदर्भ मे.दूसरो की बात सुनना और अपनी बात सुनाना,मानना और मनवाना, लोहिया के स्वभाव का हिस्सा था.यही स्वपन था दीनदयाल उपाध्याय और जयप्रकाश नारायण का.हिन्दुस्तान मे सात करोड़ लोगों के सिर पर छत नही है,पैतीस प्रतिशत लोग निरक्षर है और महिलाओं मे यह निरक्षरता पैतालिस प्रतिशत है.शिक्षा और कृषि के क्षेत्र मे विदेशियो के लिए खोल दिए है. इंफोर्मेशन टेक्नोलाजी के बारे मे बहुत बोलते है.लेकिन तमाम सूचनाओं और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र मे अंग्रेजी का ताला लगा है.जो भारतीय भाषाओ का जानने वाले ग्रामीण युवक है उनके लिए यह आईटी क्रान्ति का कोई अर्थ नही रखती है,क्योकि जब तक वे अंग्रेजी नहीं जानेगे तब तक वे इस आईटी का उपयोग नही कर सकते.



समाजवादी पार्टी बदायूं के जिलाध्यक्ष बनवारी सिंह यादव का मानना है कि
गरीब की कमर तोड़ी बढ़ती मंहगाई मे लोहिया का दाम बांधो नीति और भी अधिक प्रसांगिक हो गई है.



समाजवादी आन्दोलन के चाणक्य राम मनोहर लोहिया के जन्मशताब्दी
वर्ष पर लोहिया के विकास माडल पर देश को विचार व मन्थन की आवश्यकता है.तरुण विजय के अनुसार ही सब वैचारिक बंधनों से परे सिर्फ भारत पर केन्द्रित युवा देशभक्तों की ताकत से भारत की तकदीर बदलेगी.आज भी जयप्रकाश,लोहिया और दीनदयाल उपाध्याय की धारा से स्पंदित हृदय मिल सकते हैं.उन्हें करो या मरो नीति के आधार पर गांव गांव जा कर अलख जगाना होगा.मतभेदो से ऊपर उठ कर गुजरात व बिहार के विकास माडल पर हर नागरिक को प्रेरणात्मक दृष्टि डालना आवश्यक है.
जातिसम्प्रदाय विशेष की राजनीति से ऊपर उठ कर विकास माडल को स्वीकार करना आवश्यक है.



अन्ना हजारे,आदि आदर्श पुरुषों की देश मे कमी नही है लेकिन उनके आधार पर देश को सिर्फ आगे बढ़ने की आवश्यकता है.

Tuesday 22 March, 2011

स्वामी रामदेव जी जरा सुनिए !


                    जानते नही कलियुग है? ईमानदारी पर उतर आये तो रोटी मिलना भी मुश्किल हो जाएगी.हम कर्त्तव्य का पालन क्यो करे?आज कल तो सुविधाजनक व अवसरवादिता है वही ठीक है. धन्य ,आज के व्यक्ति की सोच!!




सुप्रीम कोर्ट दो बार कह चुका है कि कुप्रबन्धन व भ्रष्टाचार के लिए हर व्यक्ति दोषी है ?इसका मतलब मेरी दृष्टि मे यह है कि हर व्यक्ति के जागरुक हुए बिना देश मे दीर्घ कालीन परिवर्तन सम्भव नहीं .हर समस्या की जड़ है-मन .

मन मे सृजनात्मक सोच पैदा हुए बिना दूरगामी परिवर्तन सम्भव नही है.न जान कितनी क्रान्तियां हुईं लेकिन उसका प्रभाव कब तक पड़ा?अंगुलिमानों को बुद्ध ही बदल सकते हैं सेना व पब्लिक नहीं.क्रान्ति की तो हर पल आवश्यकता होती है .



* हम क्यो न निभाए अपना कर्त्तव्य ? *



अपने कर्त्तव्योँ का क्रान्ति से घनिष्ट सम्बन्ध होता है.शास्त्रों ने व्यक्ति के तीन कर्त्तव्य कहे हैं - अपने , परिवार व समाज प्रति कर्त्तव्य . आखिर हम अपने कर्त्तव्य क्यों न निभाएं?दुनिया मे सभी एक जैसे नही हो सकते . हम अपना कर्त्तव्य न निभा कर भावी पीढी के मार्गदर्शक व प्रेरणास्रोत तभी हो सकते हैं जब हम ईमानदारी से अपने कर्त्तव्यों का पालन करेंगे . इसके लिए हमे संघर्ष व त्याग करना ही पड़ेगा.


यहाँ पर मुझे श्री अर्द्धनारीश्वर शक्तिपीठ , नाथ नगरी , बरेली (उ प्र) के संस्थापक श्री राजेन्द्र प्रताप सिंह (भैया जी)के कहे शब्द याद आ जाते है कि एक रोज मेरे जाने का वक्त आयेगा और चला जाऊंगा छोड़कर तुम्हारी दुनिया,जिसमे तुम अपने अहंकार के वजूद को जीवित रखना चाहते हो.मगर फिर भी मुझे किसी से कोई शिकवा या गिला नहीं है,और न ही नफरत है लेकिन अहंकार मेरा परमशत्रु है............. परन्तु यह परिवर्तन की विचारधारा गंगा की निर्मल धारा की तरह अनवरत बहती रहेगी और मनुष्य युगों युगोँ तक परिवर्तन के इन प्रयासों को सफल बनाने के लिए कार्य करते रहेंगे.वर्तमान युग ने जहां हमें ओशो जैसा श्रेष्ठ व्याख्याकार दिया है वहीं दूसरी ओर आचार्य श्रीराम शर्मा जैसा वैज्ञानिक अध्यात्मवाद व यज्ञपेथी का श्रीगणेशकर्ता , श्री श्रीरविशंकर जैसा आर्ट आफ लीविंग का विस्तार जयगुरुदेव जैसा सन्त , अन्ना हजारे जैसा परिवर्तनकर्ता ,डा ए पी जे अब्दुल कलाम जैसा आदर्श पुरुष .....और भी न जाने कितने नाम.इन सब से हट कर इन तेरह साल मेँ एक और हस्ती उभर कर आ रही है ,जिस हस्ती का नाम है - योगगुरु स्वामी रामदेव. कुप्रबन्धन व भ्रष्टाचार के खिलाफ किसी को बिगुल बजाना ही था.


हमारा एक ख्वाब था -विभिन्न जातियोँ सम्प्दायोँ के देशभक्त व समाजसेवियों,सन्तोँ को एक मंच पर लाना.क्या यह कार्य योगगुरु स्वामी रामदेव के द्वारा सम्भव नहीं है?आप को इस सम्बन्द्ध मे जयगुरुदेव ,आदि से भी बात करनी चाहिए .वैसे हमे उम्मीद है कि वक्त आने पर वह भी स्वामी रामदेव के मिशन के साथ आयेंगे.श्री अर्द्धनारीश्वर शक्तिपीठ, नाथ नगरी ,बरेली (उप्र )के संस्थापक श्री राजेन्द्र प्रताप सिंह(भैया जी) से भी निवेदन है कि वे स्वामी रामदेव जी के मिशन मे सहयोग करने की कृपा करें.आपका यह मिशन हर देश भक्त का मिशन होना चाहिए.




*स्वामी रामदेव जी जरा मेरी भी सुनिए*


अपने मिशन में इण्डिया के स्थान पर भारत नामकरण,नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु सम्बन्धी दस्तावेज,अमेरीका मेँ ओशो को दिया गया थेलियम जहर व व्यवहार,मुसलमानो को साथ ले कर भारत ,पाकिस्तान बांग्ला देश व अन्य सार्क देशों को लेकर एक मुद्रा ,एक सेना ,एक संघीय सरकार,भावी विश्व सरकार ,आदि पर भावी योजना को अपने मिशन मे प्रतीक्षा सूची मे डालने की कृपा करें.


ASHOK KUMAR VERMA'BINDU'



www.kenant814.blogspot.com



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Wednesday 2 March, 2011

मुस्लिम नेताओं का भाईचारा अभियान व दारुल उलूम देवबंद


                         कुछ हिन्दू कहते फिरते हैँ कि जब तक देश मेँ हिन्दू बहुमत मेँ हैँ तब तक देश मेँ सेक्यूलरवाद की बात चल रही है और वह भी तुष्टीकरण के कारण छद्म .गैरमुसलमान व मुसलमान नेता पन्थनिरपक्षता प्रति कितने ईमानदार हैँ ?अभी कुछ महीनों से कुछ मुस्लिम नेता अपनी स्वयं निर्मित पार्टी के विज्ञापन के साथ अखबारों में नजर आ रहे हैं जो कि हिन्दू मुसलमान के साथ साथ चलने,हिन्दू मुस्लिम भाईचारा ,आदि सन्देशों के साथ नजर आ रहे है.यदि इन मुस्लिम नेताओं की लड़कियां गैरमुस्लिम लड़कोँ से शादी करना चाहें तो क्या ये रुकावट तो नहीं बनेगे ?रुकावट बनेगे ,अवश्य बनेगे क्योंकि यह सब मजहबी ही हैं न कि धार्मिक या सेक्युलर ? इसी तरह सेक्यूलर हिन्दू नेता.


ओशो ने ठीक कहा था कि यह कहने की क्या आवश्यकता है कि हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई आपस मेँ सब भाई भाई .यह क्यों नहीँ कहते कि हम एक हैँ .



देश के अन्दर इन्दिरा गांधी परिवार व इन्द्रकुमार गुजराल के परिवार को ही मैं सेक्यूलरवादी कहता हूँ.उन व्यक्तियों को मैं धार्मिक नहीं मान सकता जो सिर्फ अपने मजहबी रीति रिवाजोँ व्यक्तियों में रहने को ही धार्मिकता मानते हैँ और गैरमजहबियों व गैरजातियों के प्रति द्वेषभावना व छुआ छूत रखते हैं.



मुगलकाल में अनेक बादशाह हुए लेकिन अकबर को ही महान क्यों कहा जाता है ? जो सेक्यूलर के रास्ते पर चलना चाहते है उन्हें अकबर के दीन ए इलाही पथ पर चलना चाहिए लेकिन एक कदम आगे,एक कदम आगे कैसा ? अकबर ने हिन्दू लड़कियों को स्वीकार तो किया लेकिन मुस्लिम लड़कियोँ को हिन्दुओं मेँ नहीं दिया .जिस दिन परिवारों के अन्दर पति पत्नी में से एक हिन्दू व एक मुसलमान तथा वेद व कुरान एक साथ होगा उस दिन यह देश महान होगा ही अपने अखण्ड रुप में भी होगा.



जो मुस्लिम नेता हिन्दू मुस्लिम को एक साथ चलने की बात कर रहे हैं उन्हेँ इस बात पर गौर करना चाहिए.दारुल उलूम देवबंद ने फतवा जारी किया है कि यदि किसी मुस्लिम लड़के लड़की ने किसी गैर मुस्लिम से शादी की तो उसकी खैर नहीं.
यह मुस्लिम नेता चाहें वे पीस पार्टी के प्रमुख ही क्योँ न हों,कहते फिर रहे हैँ कि हिन्दू मुसलमान साथ चलेगा ;क्यों नहीँ दारुल उलूम देवबंद के फतवे के विरोध मेँ बयान दें?जिससे कि हम जैसे इनके सेक्यूलरवाद पर विश्वास कर सकें.



लेकिन यह सब कैसे होगा?हर कोई अभी मानसिक रूप से गुलाम है.कोई भी धर्म को समझने की कोशिस नहीं कर रहा है.मजहबी व जातीय सोँच से बाहर निकलने की कोशिस ही नहीं.

< www.vedquran.blogspot.com>
को भी देखेँ.