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Saturday 30 July, 2011

यमुनादत्त वैष्णव 'अशोक':एक संक्षिप्त परिचय

दक्षिणी भारत,प्राचीन सुमेर,मिश्र और भूमध्य सागर देशों की मौलिक सांस्कृतिक समानता के अध्ययन क्षेत्र मेँ यमुनादत्त वैष्णव 'अशोक' का नाम चिरस्मरणीय रहेगा.
इनका जन्म कौसानी (अल्मोड़ा) के निकट ग्राम धौलरा मेँ 02अक्टूबर1915ई को हुआ था.

युनेस्को द्वारा कुमाऊंनी शब्दकोष के अन्तर्राष्ट्रीय महत्व को देखते हुए कोष निर्माण अनुबन्ध के लिए एशिया और प्रशान्त क्षेत्र के मुख्यालय बैंकाक का आमंत्रण .

कोष निर्माण के लिए युनेस्को को साझेदारी का अनुबन्ध और वित्तीय सहायता.

बैंकाक की यात्रा के दौरान "थाइलैण्ड की अयोध्या" शीर्षक 12 लेखों के ग्रन्थ का प्रणयन.


मार्च1989को 75वर्ष पूरे होने पर 02अक्टूबर सन 1990 को नैनीताल के बुद्धिजीवियोँ द्वारा अभिनन्दन तथा उनके ग्रन्थ "पुरस्कृत विज्ञान कथा साहित्य" का लोकार्पण .

सन 1990ई0 तक इनके द्वारा 34 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी थीं.जिनमेँ -विज्ञान कथा साहित्य ,15 उपन्यास, 07 कथा संग्रह ,08 हिन्दी विज्ञान साहित्य, 05 संस्कृति और इतिहास .

यह कुमाऊं संस्कृति परिषद ,नैनीताल के अध्यक्ष भी रहे.उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा 'द्रविण और विश्व मानवता'ग्रन्थ पर संस्कृति पुरस्कार से सम्मानि किया गया.

इण्डोकैस्पियन(आदि द्रविड़)संस्कृति पर यरुशलेम अन्तर्राष्ट्रीय स्वयंसेवी सम्मेलन मेँ मार्च अप्रैल 1985ई0 में मध्यपूर्व,मिश्र व रोम की यात्रा.

प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन नागपुर मेँ जनवरी 1975 मेँ 'कुमाऊंनी और अन्तर्राष्ट्रीय रोमनी (जिप्सी) भाषा'की समानता पर पढ़ा गया निबन्ध.

कांग्रेसी दंश : कांग्रेस का काला पृष्ठ

सन 1946ई के अन्त के साथ कांग्रेस के चरित्र की उल्टी गिनती शुरु हो चुकी थी.भारत के कुछ बिकने वालों के सहयोग से इस देश पर विदेशी मंसूबे फलते फूलते रहे हैँ . देश की वर्तमान कंडीशन के लिए दोषी कौन?दादूपुर,वाराणसी के सरस्वती कुमार के अनुसार इसके लिए जिम्मेदार है -"बेटन नेहरु पैक्ट यानी वशीकरण अभियान ". पहला कांग्रेसी दंश था-गांधी के न चाहने के बाबजूद देश का विभाजन . इसके बाद तो कांग्रेस से दंशना प्रारम्भ कर दिया था.जो अभी तक अंग्रेजों की हाँ हजूरी करते थे वे अब कांग्रेस पार्टी का टिकिट लेकर एमपी विधायक थे.और पब्लिक भी मूर्ख?इन्हें ही जिताते आयी.प्रजातन्त्र मेँ प्रजा को ही दोषी मानता हूँ.जो नेता दोषी हैं आखिर उन्हे चुनती तो पब्लिक है? कांग्रेस अनेक मौकों पर प्रजातन्त्र के खिलाफ नजर आयी है. वर्तमान मेँ भ्रष्टाचार व लोकपाल पर कांग्रेस का नजरिया सब जान गये है लेकिन धन्य भारत की पब्लिक...?कांग्रेस की सीटेँ क्या अगले चुनाव मेँ शून्य हो जायेंगी?लोकपाल पर पब्लिक की सहमति को अनसुना कर अन्ना को एक पत्र मेँ पागल तक कह डाला . जीतने के लिए कांग्रेस को वोट चाहिए?अन्ना के मुट्ठी मेँ कितने वोट....?


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Friday 29 July, 2011

पाकिस्तान से हिना रब्बानी खार...

पाक एक ओर भारत से बात कर रहा है वहीं दूसरी ओर वह भारतीयों पर गोली व बम दाग रहा होता है.इस समय पाकिस्तान की पहली महिला विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार के चर्चे मीडिया मेँ हैँ ही इण्टरनेट पर भी हैँहिना की खूबसूरती के भी काफी चर्चे हैँ.वास्तव मेँ पाक एशिया मेँ शान्ति चाहता है तो उसे भारत के दर्द को समझना होगा.आतंक के खिलाफ जाति मजहब से ऊपर उठ कर अभियान चलाना होगा.कट्टरपंथियों के अरमानों को ठंडा करना होगा.पाक अफगान उत्तरभारत बांग्लादेश आदि को मिला कर मुगलस्तान की वकालत करने वालों को कठोर जबाब दे कर यदि हिंद महादीप के देशों का संघ बना कर एक संघीय सरकार,मुद्रा व सेना की वकालत का माहौल बनाना चाहिए.पड़ोसियों का ख्याल यदि पड़ोसी न रखेँ तो यह क्षेत्र के लिए ठीक नहीं.


बड़ा ओछा हिन्दुस्तान!हिना की सुन्दरता से क्या लेना देना ?लेकिन खूब चर्चा उसके सुन्दरता की.भाई ये आध्यात्मिक व धार्मिक देश है.यहाँ शारीरिक सुन्दरता से मतलब.

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पाकिस्तान से हिना रब्बानी खार...

पाक एक ओर भारत से बात कर रहा है वहीं दूसरी ओर वह भारतीयों पर गोली व बम दाग रहा होता है.इस समय पाकिस्तान की पहली महिला विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार के चर्चे मीडिया मेँ हैँ ही इण्टरनेट पर भी हैँहिना की खूबसूरती के भी काफी चर्चे हैँ.वास्तव मेँ पाक एशिया मेँ शान्ति चाहता है तो उसे भारत के दर्द को समझना होगा.आतंक के खिलाफ जाति मजहब से ऊपर उठ कर अभियान चलाना होगा.कट्टरपंथियों के अरमानों को ठंडा करना होगा.पाक अफगान उत्तरभारत बांग्लादेश आदि को मिला कर मुगलस्तान की वकालत करने वालों को कठोर जबाब दे कर यदि हिंद महादीप के देशों का संघ बना कर एक संघीय सरकार,मुद्रा व सेना की वकालत का माहौल बनाना चाहिए.पड़ोसियों का ख्याल यदि पड़ोसी न रखेँ तो यह क्षेत्र के लिए ठीक नहीं.


बड़ा ओछा हिन्दुस्तान!हिना की सुन्दरता से क्या लेना देना ?लेकिन खूब चर्चा उसके सुन्दरता की.भाई ये आध्यात्मिक व धार्मिक देश है.यहाँ शारीरिक सुन्दरता से मतलब .

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देशभक्ति की परिभाषा पर पुनर्विचार हो !

देश का दुश्मन दुश्मन है,चाहेँ वह विदेशी हो या स्वदेशी . देश के दुश्मनों के साथ मनमानी क्योँ ?विदेशी दुश्मन को गोली लेकिन स्वदेशी दुश्मन को गोली पर कभी वह हमारा रिश्तेदार कभी अपनी बिरादरी का कभी अपने मजहब का नजर आता है.और मिट जाता है अपना धर्म व सत.ईमान पर पक्का होने का मतलब तब क्या रह जाता है?सम्पूर्ण मनुष्य जाति व देश के लिए न सोंच एक विशेष जाति पंथ के लिए सोंचना व जीना
मनुष्य का ईमान नहीं हो सकता ,हाँ ! किसी मजहबी का ईमान हो सकता. अफगान मेँ तालिबान से लड़ रहे सैनिकोँ को अमेरिका कुरुशान(गीता)का पाठ सिखा सकता है लेकिन हम नहीँ सीख सकते.देश के दुश्मनों के साथ दोहरा मापदण्ड क्योँ?जाति सम्प्रदाय से ऊपर उठ कर 'धर्म का पथ' अर्थात 'जेहाद की राह' को समझो . काफिर वह है जो सत्य से मुकरे.जो व्यक्ति काफिर के काफिर आदतों का समर्थन करता है,मेरी दृष्टि मेँ वह
भी काफिर है.सीख लेना चाहेँ तो हम फिल्मों से सीख ले सकते हैँ,जिसमेँ भ्रष्ट नेता मंत्री पुलिस अफसर आदि के खिलाफ मरते दम तक नायक अभियान छेंड़े रखता है.एक फिल्म मेँ डायलाग है -'कानून का कोई अपना भाई नहीँ होता.' गीता मेँ कृष्ण क्या कहते हैँ?भूल गये क्या?धर्म के रास्ते पर न कोई अपना न कोई पराया होता है.हम क्या देशभक्त नहीँ हैँ?यदि नहीँ तो क्या हमेँ सरकारी सुविधाएं मिलना चाहिए?देश
के दुश्मनों के खिलाफ अभियान क्यों नहीँ?हम क्योँ जाति सम्प्रदाय मेँ बंट कर रह जाते हैँ?भ्रष्टाचार व काला धन पर आवाज उठाने वालों पर लाठियां गोलियां व कानूनी अड़चने लगाने वालों के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीँ?

गौरवशाली भारत का अस्तित्व क्यों मिटा?सिर्फ हमारे व पूर्वजों के नजरिया के कारण.जो अंग्रेजों की हाँहजूरी करते रहे अंग्रेज चले गये तो वही देश संभालने लगे.बच्चों को टीवी सिनेमा मोबाइल आदि रुपी झुनझुना पकड़ा दिये गये .

देशभक्ति की परिभाषा पर पुनर्विचार होना चाहिए.विभिन्न पदों पर नियुक्ति व प्रत्याशी चयन के लिए नारको परीक्षण आदि व विधि साक्षरता अनिवार्य किया जाना चाहिए .अफसोस कि लोग संविधान की एबीसी तक नहीं जानते,उन्हेँ संविधान की शपथ दिलवायी जाती है.

Thursday 28 July, 2011

गांधी को क्या नेहरु ने मरवाया : सिर्फ एक कल्पना

गांधी की हत्या ने पूरे देश मेँ खलवली मचा दी.पब्लिक विवश हो कर सिर्फ मुट्ठियां बांध कर खींच कर रह गयी.देशभक्त जनता नेहरु व जिन्ना का पीछे चल पड़ी जनता के बीच दब कर रह गयी थी.दिल्ली मेँ जनता का सैलाब उमड़ पड़ा था.
"बेचारे महात्मा को नेहरु ने सत्ता के लोभ मेँ आकर मरवा ही दिया."-भीड़ मेँ एक ओर से आवाज आयी तो एक युवक बौखला उठा-"कौन बोला?कौन बोला?साला अब क्यों नहीं बोलता?"एक मुस्लिम वृद्ध एक अधेड़ तिलकधारी देखकर बोला -"मैने बोला है , मैने बोला है." मुस्लिम वृद्ध को पकड़ कर झकझोरते हुए-"यें..., नेहरु ने मारा गांधी को...?"


रायसेन मध्यप्रदेश से एक बालक अकेले ही दिल्ली आया हुआ था.जिसको देख कर कभी गांधी बोले थे-"दुनिया मेँ यही बालक है मेरे टक्कर का."इधर-मौ.अबुल कलाम आजाद एक कमरे में बैठे लिखने मेँ व्यस्त थे.गांधी का अन्तिम संस्कार हुए दो दिन गुजर चुके हैं लेकिन-सत्तावादी गांधी की मौत पर सिर्फ घड़ियाली आंसू बहा रहे हैँ.मेरे द्वारा लिखी जाने वाली पुस्तक 'India Wins Freedom'जब प्रकाशित होकर जनता के बीच जायेगी तो शायद देश जिन्ना,पटेल व नेहरु की असलियत समझ सके?और नेहरु व अब के बाद की कांग्रेस को ...


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गजवा ए हिंद की भारत मेँ चुनौती

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From: Ashok kumar Verma Bindu <akvashokbindu@yahoo.in>
To: "spntodaynews@gmail.com" <spntodaynews@gmail.com>
Date: गुरुवार, 28 जुलाई, 2011 8:37:15 पूर्वाह्न GMT+0000
Subject: गजवा ए हिंद की भारत मेँ चुनौती

भारत के खिलाफ भड़काऊ बयान देने वाले जमात उद दावा के प्रमुख हाफिज मुहम्मद सईद ने अब जम्मू कश्मीर के जरिये भारत मेँ घुसने का एलान किया है.आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा के संस्थापक सईद ने कहा कि हम कश्मीर के रास्ते भारत मेँ घुस कर गजवा ए हिंद छेंड़ेंगे.उसका दावा है कि भारत व इजरायल ने गुप्त समझौता किया है. इधर भारत मेँ परसों से ही इण्टरनेट पर कमेण्टस आ रहे हैँ.एक ने लिखा है कि तुम भारत आओ तुमसे निपट लिया जायेगा लेकिन कांग्रेसियों से कैसे निपटा जाये ?मैं इतिहास का अध्ययन करता रहा हूँ मुझे तो भारतीय ही दोषी नजर आये हैं.देश के अन्दर की कमजोरी का फायदा विदेशी शक्तियाँ उठाती रही हैं.
कभी तुर्क तो कभी मुगल तो कभी अंग्रेज तो कभी पाकिस्तान तो कभी आतंकवाद हमारे लिए दोषी नजर आता रहा है.लेकिन अपने परिवार ,जाति ,पंथ राज्य ,देश,समाज के ठेकेदारों व अपनी सोंच की ओर न देखा.
हम अपने लिए औरअधिकतम अपने परिवार के लिए जीते आये है.समाज व देश के लिए हमारा कोई लक्ष्य नहीं रहा है . दुनियां में जो भी कौमेँ आगे बढ़ी है,उन कौम के लोगों नेअपनी कौम के लिए भी त्याग किए हैँ.सईद तुम भारत आओ,लेकिन भारतीयों का दिल जीतने.

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Tuesday 26 July, 2011

'छोटे शहर का बड़ा रंगमंच' का विमोचन : 25जुलाई 2011ई0

शाहजहांपुर की नाट्य संस्थाओं व रंगकर्मियों के योगदान पर साहित्यकार 'सुशील मानव' की पुस्तक 'छोटे शहर का बड़ा रंगमंच' का विमोचन किया गया.


रविवार को गांधी भवन मेँ हुए कार्यक्रम मेँ पालिकाध्यक्ष तनवीर खाँ व स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी बसंत लाल खन्ना ने पुस्तक का विमोचन किया.

इस अवसर पर साहित्यकार सुधीर विद्यार्थी लेखक इंजी.राजेश कुमार शमीम आजाद कृष्ण कुमार श्रीवास्तव आदि सहित कला व साहित्य जगत से जुड़े तमाम लोग मौजूद थे.


शहीदों की नगरी नाम से पुकारा जाने वाला रुहेलखण्ड का प्रसिद्ध नगर शाहजहांपुर आज अनेक क्षेत्रों मेँ चर्चित है.इस पुस्तक के विमोचन के साथ यहाँ के रंगमंच मेँ एक नया अध्याय जुड़ गया है.रंगमंच से ही अपने अभिनय की शुरुआत करने वाले अनेक कलाकार यहां से निकल कर दुनिया मेँ शाहजहांपुर का नाम रोशन कर रहे हैँ.

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MHSS

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------Original message------
From: akvashokbindu@gmail.com <akvashokbindu@gmail.com>
To: <akvashokbindu@yahoo.in>
Date: मंगलवार, 26 जुलाई, 2011 11:07:00 पूर्वाह्न GMT+0000
Subject: MHSS

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------Original message------
From: akvashokbindu@gmail.com <akvashokbindu@gmail.com>
To: <fareedansarispn@gmail.com>
Date: मंगलवार, 26 जुलाई, 2011 11:00:51 पूर्वाह्न GMT+0000
Subject: MHSS

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From: akvashokbindu@gmail.com <akvashokbindu@gmail.com>
To: "manojsaxena541@gmail.com" <manojsaxena541@gmail.com>
Date: मंगलवार, 26 जुलाई, 2011 10:54:45 पूर्वाह्न GMT+0000
Subject: MHSS

MHSS यानि कि मानवता हिताय सेवा समिति!


चेतनांशों की सेवा ही ईश की स्थूल आवश्यक भक्ति है.जाति ,सम्प्रदाय ,धर्मस्थल ,आदि के लिए जीने वालों से खुश रहने वाले देवी देवताओं से ऊपर उठ सिर्फ- ओ3म आमीन !

जय कुरुशान(गीता) जय कुरआन !

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Sunday 24 July, 2011

23जुलाई:मंत्री सत्यपाल यादव की पुण्यतिथि

कल मीरानपुर कटरा शाहजहांपुर के सिउरा ग्राम स्थित चेतराम सिंह इण्टर कालेज मेँ सपा व विभिन्न समाजसेवी संस्थाओं के कार्यकर्ताओं व पब्लिक के बीच सपा मुखिया मुलायम सिंह के भतीजे धर्मेन्द्र यादव ने वर्तमान मायावती व मनमोहन सिंह सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि आज देश व प्रदेश मेँ गुण्डागर्दी का माहौल है.


मैं भी अपने कुछ कार्यकर्ताओं (मुझ द्वारा संस्थापित मानवता हिताय सेवा समिति के सहयोगी) के साथ उपस्थित था.मैं सोंचने लगा कि यह मंत्री जी का पुण्य तिथि समारोह है कि राजनैतिक ......?!

खैर...


मुझमेँ मंत्री सत्यपाल यादव के प्रति श्रद्धा रही है और श्रद्धा रहेगी.मैं वहां इस लिए नहीं गया था कि सपा के प्रति लगाव है.मुझे कि राजनैतिक पार्टी से लगाव नहीं हैं क्योंकि हमेँ तो हर पार्टी कुप्रबन्धन भ्रष्टाचार व गुटवाजी मेँ सहयोगी नजर आ रही है.
हम देखते हैं कि कोई नेता विधायक एमपी नहीं बन पाता इससे पूर्व उसके गांव व बिरादरी के लोग गुटवाजी व मनमानी के हिमायती हो जाते है.पुलिस की नजदीकियों की तरह इनके नजदीक भी सच्चे व ईमादार लोग नजर नहीं आते.ये लोग भी पब्लिक के साथ न्याय नहीं कर पाते.


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कथाकार तेजेन्द्र शर्मा : आज के समय के महान कथाकार.

कौन साहित्यकार तेजेन्द्र शर्मा नाम की शख्सियत से परिचित न होगा? वे कथा साहित्य के जगत के आधुनिक नक्षत्र हैँ . अप्रैल 1999ई के बाद मेरा उनसे कोई पत्र व्यवहार न हो सका. 02अप्रैल1999ई को उनके द्वारा मुझे सम्बोधित करते हुए एक पत्र लिखा गया था .इस पत्र के माध्यम से मुझे ज्ञात हुआ था कि वे सदा के लिए अपना निवास लन्दन मेँ बना लिए हैं.अब बस इण्टरनेट की कुछ साइटों के माध्यम से उनसे सम्बन्धित खबरें मिल जाती हैं.


विदेश मेँ रह कर भी वे किस तरह हिन्दी साहित्य की सेवा मेँ लगे हैं,यह सराहनीय कदम है.

शेष फिर .....


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Sunday 17 July, 2011

गौरवशाली भारत का गौर�� दलित पिछड़ोँ के पूर्व���ों के हाथ ...?!

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From: Akvashokbindu <akvashokbindu@gmail.com>
To: <akvashokbindu@yahoo.in>
Date: गुरुवार, 14 जुलाई, 2011 6:53:21 अपराह्न GMT+0530
Subject: गौरवशाली भारत का गौर�� दलित पिछड़ोँ के पूर्व���ों के हाथ ...?!

पिछड़ी जाति के हमारे एक मित्र हैं.जो आज के क्षत्रियों को लेकर बड़े खिन्न रहते हैं.वे कहते हैं कि इन क्षत्रियों को पिछड़ी व दलित जाति का इतिहास जानने की जरुरत नहीं है.विहिप अध्यक्ष अशोक सिंघल की एक पुस्तक लिखती है कि दलित व पिछड़ी कही जाने वाली कभी क्षत्रिय हुआ करती थीँ.वर्मा क्षत्रियों की प्राचीन उपाधी थी.आज की सिंह उपाधि का इतिहास एक हजार वर्ष से पुराना नहीं है.इससे पहले किन किन उपाधियों का प्रयोग किया जाता था?जिन उपाधियों का प्रयोग किया जाता था,उन उपाधियों को धारण करने वाले क्या आज दलित पिछड़ी जाति में नहीँ जी रहे?ऐ आज के क्षत्रियों व ब्राहमणों जरा भागवत पुराण,आदि में वर्णित वंशावलियों पर अनुसंधान तो कराओ.एक ही राजा के चार पुत्र होते हैं,एक से जो वंश चलता है वे ब्राहमण कहलाते हैँ,एक से जो वंश चलता है वे क्षत्रिय कहलाते हैँ.उस वक्त जाति नहीं वर्ण व्यवस्था थी.सात सौ वर्ष पहले का इतिहास आज के दलित व पिछड़ों के पुरखोँ के हाथ में था ही,वाद के भी कुछ राजाओं की वंशावलिया खंगालने से पता चलता है कि वे आज की दलित पिछड़ी जाति के पूर्वज थे.इन पन्द्रह सौ वर्षों का इतिहास हाँ हजूरी,चापलूसी,आपसी द्वेष व फूट,आदि का इतिहास है.क्षत्रिय महासभा मेँ महाराणा प्रताप ,श्री कृष्ण,शिवा जी,आदि को क्षत्रिय मान कर सम्मान देने वाले जरा अन्वेषण तो कराये कि इनके भाई बन्धु व परिजन क्या आज के दलित पिछड़ों के पूर्वज नहीं थे.आज की आदिवासियों,जनजातियों का जरा इतिहास तो खंगाल कर देखिये.आज के वाल्मिकियों का इतिहास खंगालने की कोशिस तो कीजिए.आज के यादवोँ,कुर्मियों,कुशवाहों,मौर्यों ,आदि का इतिहास तो खंगालने की कोशिश तो कीजिए.


प्राचीन काल में क्षत्रियों की एक उपाधि थी-वर्मा या वम्मा.अभी चन्द दिनों पहले से पद्मानाभस्वामी मंदिर चर्चे में है.त्रावणकोर राज्य को स्वर्णिम राज्य बनाने बालों के वंशज आज कौन हैं?मौर्य साम्रज्य को खड़ा करने वाले ,गुप्त वंश ,चोल,आदि वंश के लोग आज कहाँ है?आज से पन्द्राह सौ वर्ष पहले के राजवंशों के वंशी क्या आज के क्षत्रियों में स्थान पाये है?महाभारत काल मेँ तक की जन जातियां महाभारत के अनुसार क्षत्रिय ही थे.

Friday 15 July, 2011

यज्ञ व सगुण परिपाटी म��ँ निर्गुण आर्यत्व

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From: Akvashokbindu <akvashokbindu@gmail.com>
To: <akvashokbindu@yahoo.in>
Date: गुरुवार, 14 जुलाई, 2011 11:09:41 पूर्वाह्न GMT+0530
Subject: यज्ञ व सगुण परिपाटी म��ँ निर्गुण आर्यत्व

प्राचीन योरोप साहित्य मेँ एक शब्द है-सील.जो अंग्रेजी के सी,आई,ई व एल अक्षर से मिल कर बना है.जिसका अर्थ है-स्वर्ग या आकाश.योरोप की पुस्तकों में भी स्वर्ग के परिपेक्ष्य मेँ कश्मीर तिब्बत और चीन के कुछ भाग की ओर संकेत किया गया है.भारतीय ग्रन्थों मेँ भी स्वर्ग के लिए कश्मीर तिब्बत की ओर संकेत मिलता है.योग और ध्यान के परिपेक्ष्य मेँ तिब्बत एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है और इस सम्बंध मेँ वह काफी युगों से अग्रणी है.प्रथम सभ्य मनुष्यों का केन्द्र भी तिब्बत माना जाता है.स्वर्गपुत्र या निर्गुण पुत्र या आर्य या देवता इसी भू भाग से सम्बन्ध रखते हैँ.इस भूभाग को ब्रह्म देश भी कहा गया है.ये स्वाध्याय अर्थात आत्मसाक्षात्कार को विशेष महत्व देते थे.
साधारण मनुष्य कर्मकाण्डों में व्यस्त रहे लेकिन कुछ ही वास्तव में मनप्रबन्धन से जुड़ अध्यात्म व अत्मसाक्षात्कार से जुड़े रहे हैँ.सभ्य मनुष्यों अर्थात आर्यों का प्रभाव पहाड़ों से आकर धरती पर हुआ तो ये धरती पर स्वर्गपुत्र(आकाश पुत्र या ईश्वरपुत्र)कहलाने के साथ धरती के मनुष्यों के लिए सम्माननीय बन गये क्योंकि पहाड़ों से उतरे ये लोग ज्ञान के क्षेत्र मेँ काफी आगे थे...और इन लोगों के मैदानी जनों से संघर्ष भी हुए.इन पहाड़ी जनों के मैदानी प्रसंशक शमन धर्म के कहलाये.योग को महत्वपूर्ण स्थान देने के साथ यह दमन के स्थान पर शमन को महत्व देते थे.इन्हीँ शमन धर्मियों मेँ कश्यप ऋषि ,चन्द्र(सोम),शुक्राचार्य,और्ब,आदि जैसे व्यक्तित्व उभर कर आये.आगे चल कर यही सोमी कहलाये.


एक ओर आत्मसाक्षात्कार दूसरी ओर साधारण जन मेँ यज्ञ को महत्व देने वाले व प्रकृतिअनुशीलन तथा प्रकृतिक घटनाओँ से भयभीत लोग ईश्वर की स्थूल कल्पना में खो गये.ऋग्वैदिक शब्द 'यल्ह'जिसे ईश्वर व यज्ञ दोनों के लिए प्रयोग किया गया,मात्र ईश्वर के लिए प्रयोग किया जाने लगा.पितर पूजा को महत्व के साथ पहाड़ों से उतरे प्रथम जनों को मैदानों में,विशेष रुप से अरब क्षेत्र में मूर्ति बना कर पूजा जाने लगा.सोमी के ही एक इब्राहिम बुतपरस्ती के कारण पैदा हुए विकारों को देख परेशान हो उठे,जो निर्गुण के सगुण रुप से परेशान हो उठे.मनप्रबंधन से हट कर लोग सिर्फ स्थूल प्रबंधन में लीन थे.उन्होने देखा कि लोग कैसे बुतपरस्ती मेँ योग ध्यान आत्मसाक्षात्कार एवं धार्मिकता(धर्म या सम्प्रदाय नहीँ)से दूर होते जा रहे हैँ.इब्राहिम के पुत्र इसहाक की पीढ़ी मेँ हजरत दाऊद व हजरत मूसा पैदा हुए,हजरत मूसा व दाऊद को मानने वाले यहूदी कहलाये.हजरत मूसा ने यज्ञ में पशु बलि की महत्ता को बनाये रखा.बुतपरस्ती,यज्ञ में बलि एवं अन्य अव्यवस्थाओं ने इधर जैन व बुद्ध को पैदा कर दिया था.उधर सीरिया क्षेत्र मेँ ईसा मसीह.इब्राहिम के दूसरे पुत्र इस्माइल की पीढ़ी में हजरत मोहम्मद पैदा हुए.अरब मेँ बुतपरस्ती व अन्य विषमताओं के खिलाफ उठ खड़े हो हजरत मोहम्मद ने निर्गुण धारा मेँ जान डालने के लिए आर्यत्व संभाला.हजरत मोहम्द प्रतिवर्ष रमजान का मास सपरिवार हीरा की गुफा में ध्यानस्थ हो बिताते थे.जहां ही उन्हेँ इलहाम हुआ अर्थात उनके लिए यल्ह(इलाह)एक आम बात हो गयी अर्थात वे ईश्वरत्व से जुड़ गये.

सनातन धर्म यात्रा के पथ पर प्रखर प्रहरी कितने होते है? जीवों मेँ चेतना के दोनों अंश-परमांश व प्रकृतिअंश प्रति समदृष्टि रखते हुए शरीफ व ईमानदार होने को यदि किसी सम्प्रदाय के व्यक्ति अपने अपोजिट मान लेँ तो इसमेँ किसका दोष है?जाति ,मजहब,आदि के नाम पर मन में द्वेष भाव रखने वाले कदापि अपने ईमान के पक्के नहीं हो सकते.अपने जाति सम्प्रदाय से निकल कर जो मानव व प्रकृति प्रति दया व सेवा भाव नहीं होता वे कैसे सनातन धर्म यात्रा के प्रखर प्रहरी हो सकते हैं?परमात्मा व प्रकृति के विरुद्ध जा कर स्वधुन व निर्जीव वस्तुओं को ज्यादा महत्व देना ईमान नहीं है.

द अफ्रीकन

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From: Akvashokbindu <akvashokbindu@gmail.com>
To: <akvashokbindu@yahoo.in>
Date: बुधवार, 13 जुलाई, 2011 7:12:36 अपराह्न GMT+0530
Subject: द अफ्रीकन

भूमध्य सागरीय आदिमानव! क्रीट सभ्यता एवं अफ्रीका का इतिहास.....

दूसरी ओर एक मार्डन फैमिली,जिसमेँ एक युवती .....उम्र उसकी तीस वर्ष.


उसकी महत्वाकांक्षा कि मैं चाहती हूँ सारी दुनियां मेरी मुटठी में हो और वो (जीवनसाथी)जो हो ,उसके लिए मैं ही सारी दुनियां होऊँ.मेरे सिवा सारी दुनिया को वह भूल जाए.


इस युवती को जंगलों में जाकर विभिन्न औषधियों व वनस्पतियों के बारे में जानकारी एकत्रित करने का शौक था.वह एक मेडिकल इंस्टीटयूट मेँ कार्यरत थी.लेकिन इस वक्त वह अफ्रीका के जंगलों मे थी...


दूसरी ओर एक मनोचिकित्सालय.....एक पागल एक रुम में था,उसने कुछ चित्र बना डाले थे-
एक चित्र में भूमध्यसागरीय क्षेत्र, दूसरे मेँ संसार तीसरे मेँ पृथ्वी ,चौथे में एक आकाशीय पिण्ड ,पाँचवें मेँ एक अन्तरिक्ष यान .....


उस पागल ने अपनी आंखे बन्द कर रखी थीं.


क्या वह वास्तव मेँ पागल था-


अन्तरिक्ष मेँ एक यान!


एक स्क्रीन पर मनोचिकित्सालय के चलचित्र!उस पागल की तश्वीरें भी.....

"यह पागलखाने मेँ!"


"पृथु की धरती के हाल क्या है?कैसे बयां करें ? "


" चलो ठीक है,इसके माइण्ड हमारे कम्पयूटर के कांटेक्ट मेँ आ गया है.क्या था विचारा,दुष्ट इन्सानों ने इसे क्या बना डाला?इसका ही बेटा नहीं क्या इसके शक्ल का अफ्रीका के जंगलों मेँ?"


"नहीं!"

"इसके जुड़वा भाई की करतूत है वह..."

इधर अफ्रीका के जंगलों मेँ.....