इनका जन्म कौसानी (अल्मोड़ा) के निकट ग्राम धौलरा मेँ 02अक्टूबर1915ई को हुआ था.
युनेस्को द्वारा कुमाऊंनी शब्दकोष के अन्तर्राष्ट्रीय महत्व को देखते हुए कोष निर्माण अनुबन्ध के लिए एशिया और प्रशान्त क्षेत्र के मुख्यालय बैंकाक का आमंत्रण .
कोष निर्माण के लिए युनेस्को को साझेदारी का अनुबन्ध और वित्तीय सहायता.
बैंकाक की यात्रा के दौरान "थाइलैण्ड की अयोध्या" शीर्षक 12 लेखों के ग्रन्थ का प्रणयन.
मार्च1989को 75वर्ष पूरे होने पर 02अक्टूबर सन 1990 को नैनीताल के बुद्धिजीवियोँ द्वारा अभिनन्दन तथा उनके ग्रन्थ "पुरस्कृत विज्ञान कथा साहित्य" का लोकार्पण .
सन 1990ई0 तक इनके द्वारा 34 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी थीं.जिनमेँ -विज्ञान कथा साहित्य ,15 उपन्यास, 07 कथा संग्रह ,08 हिन्दी विज्ञान साहित्य, 05 संस्कृति और इतिहास .
यह कुमाऊं संस्कृति परिषद ,नैनीताल के अध्यक्ष भी रहे.उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा 'द्रविण और विश्व मानवता'ग्रन्थ पर संस्कृति पुरस्कार से सम्मानि किया गया.
इण्डोकैस्पियन(आदि द्रविड़)संस्कृति पर यरुशलेम अन्तर्राष्ट्रीय स्वयंसेवी सम्मेलन मेँ मार्च अप्रैल 1985ई0 में मध्यपूर्व,मिश्र व रोम की यात्रा.
प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन नागपुर मेँ जनवरी 1975 मेँ 'कुमाऊंनी और अन्तर्राष्ट्रीय रोमनी (जिप्सी) भाषा'की समानता पर पढ़ा गया निबन्ध.
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