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Saturday 30 April, 2011

म्यांऊ म्यांऊ मुलायम माया हैं न!




                                   अरे कहने दो , लोग कांग्रेस को गाली दें तो देने दो.पब्लिक को अपना पेट पालने से भी फुर्सत कहाँ? सत्ता भोग का आनन्द उठाओ.अरे यह अन्ना या रामदेव क्या कर लेंगे?चीखने दो इन्हें,दो प्रतिशत भी तो नहीं है इनके साथ . मतपेटियों का जिन्न हमारे साथ रहे ,बस.मस्लिम वोट ऐसे बड़ा काम का है.भ्रष्टाचार व कालेधन पर कोई मस्लिम थोड़े चीख रहे है. देश मे म म म की तिगड़ी के साथ यह चौथा म मुसलमान हमसे निकल कर बाहर नहीं जा सकता . विश्व स्तर पर भावी तिगड़ी भारत रूस चीन मुस्लिम आबादी के साथ मिल कर तीनो म का विश्व मे डंका बजा सकती है.अमेरीका को साथ लेना तो अभी कुछ वर्षों की आवश्यकता है.भविष्यवाणी को सत्य साबित किया जा सकता है कि भारत का म वर्ण नाम का नेता अपनी विश्व मे तूती बजाएगा .बात है नीली पगड़ी की नीली पगड़ी पहनने लगूंगा. चारो म (मनमोहन मुलायम माया मुस्लिम) मिल कर भारत ही नहीं सार्क देशों को प्रभावित कर सकते हैं,सम्भव हो सके तो पांचवा म माओ को भी साथ ले ले,सम्भव हो सके तो छठे म मुशरर्फ को भी साथ ले लें.अखण्ड भारत का लोहिया सपना साकार कर सकते है.प्लीज मुलायम सिंह!बड़ा अच्छा मौका है.कुछ कट्टर मुस्लिमों व कुछ पाकिस्तानियों का तालिबान व चीन के साथ मिल कर एक सपना सजोया है मुगलस्तान का ,यानि कि पाक कश्मीर हिमाचल उप्र बिहार प बंगाल बांग्ला देश मिलाकर ग्रेटपाकिस्तान का सपना.इस म के गुट को सबसे अच्छा हथियार है ऐसे में अखण्ड भारत का.मुस्लिमों को ला सड़क पर ला कर अखण्ड भारत के लिए आन्दोलन छोड़ दो.माओवादी बरेली तक अपना दावा करते हैं ,उनसे कहो बरेली तक ही क्या,पूरा भारत तुम्हारा है.अखण्ड भारत की मुहिम मे नेपाल व बांगला देश की जनता को भी जोड़ो.



                        मै भी हूँ कि फोकट में सलाह देने चला इन्हें.सोनिया जी राहुल जी आप भी सुनिए.क्या भविष्य मे भारत रत्न न पाने का? मरना तो है ही ,कुछ ऐस मुहिम छोड़ जाओ कि किसी की गोली या बम से मरना हो जाए.


                          शायद जांच रिपोर्ट मेँ राजीव गांधी के हत्या के षडयन्त्र के शक की सूई प्रधानमंत्री आवास की ओर ही थी ? सोनिया गांधी भी क्या अपने मूलदेश से यहां अकेली थोड़ी हैं?पूरी टीम काम रही है शायद?मै अपने आस पड़ोस मे भी कांग्रेसी देखता हूँ ,बड़े ईमानदार नजर आते है वे ? कुछ नेता तो देश मे ऐसे है ,अंग्रेजी काल मे उनके घर के ऊपर अंग्रेजी झण्डा लहराता था या उसकी छाया तले हां हजूरी करते थे.धन्य,भारत की जनता भी,उनको जिताना नहीं छोड़ती?सुनो माया व मुलायम,तुम दोनो कभी एक मंच पर थे.क्या तुम्हे पता है किसने कूटनीति फेंकी थी तुम दोनो की एकता पर?नहीं न.कितनी जनता ईमानदारी का खाना चाहती है?अट्ठानवे प्रतिशत से ऊपर जनता बेईमान व्यवस्था के चलते अपना जीवन चला रही है.ईमानदारी के रास्ते पर बड़े त्याग संयम व धैर्य की जरुरत होती है .अरे चलने दो,घोटाले पे घोटाले!यह सब तो राज काज मे चलता है.खुद भी खाओ औरों को भी खबाओ,जनता भी क्या चाहती है?जनता भी वहीं पर ईमानदारी के साथ खड़ी होती है,जहां उसका स्वार्थ नही.चीखने दो भ्रष्टाचार व कालेधन पर,कुछ हिन्दू वोट ही तो उनके साथ है.मुस्लिम उनमें जायेगा नही.


(यह मात्र एक व्यंग्य है.)

Thursday 21 April, 2011

भविष्य कथांश : www.akvashokbindu.blogspot.com

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From: akvashokbindu@yahoo.in
To: akvashokbindu@yahoo.in
Sent: Thu, 21 Apr 2011 13:29 IST
Subject: भविष्य कथांश : www.akvashokbindu.blogspot.com

भविष्य कथांश नाम से < www.akvashokbindu.blogspot.com > यह ब्लाग मैने अपनी भविष्य सम्बन्धी कल्पनाओं को सजोने के लिए बनायी थी.मैने सेक्युलर फोर्स नाम का एक उपन्यास लिख रखा है,जिसमें मैने दिखाया है कि किस तरह कुछ युवक देश के कुप्रबन्धन से परेशान हैं? व्यवस्थाओं मे परिवर्तन के लिए वे सेक्युलर फोर्स का गठन करते हैं.जिसका उद्देश्य होता है देश में कानून व्यवस्था कायम करना.
देश के नेता अफसर व कट्टरपंथी जिसके विरोध मे आ जाते है.आखिर देश मे सैनिक कार्यवाही होती है.जब स्थिति ज्यादा बिगड़ती है तो अमेरीका की फौजे आ डटती हैँ.

21मई2011की शाम!

89वर्षीय सिविल इंजीनियर हैरोल्ड कैपिंग इन दिनों फेमिली रेडियो नेटवर्क (लंदन)पर एक अभियान चला रहे हैं जिसमे चेतावनी दी गई है कि 21मई2011 को शाम छ बजे दुनिया खत्म हो जाएगी.इस चेतावनी मे कहा गया कि दुनिया के दो प्रतिशत लोगों को ही स्वर्ग नसीब होगा. कितना सत्य....

21दिसम्बर2012को तबाही!


अमेरिकन माया कलेंडर के अनुसार 21दिसम्बर2012वह दिन होगा जब सूर्य व पृथ्वी एक दूसरे के सबसे करीब होंगे और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण की वजह से इसका बेहद प्रतिकूल असर पड़ेगा.जिसकी वजह से नार्थ पोल व साउथ पोल अपनी जगह बदल लेंगे.क्या सच होगा....


तृतीय विश्व युद्ध एशिया से!

अगले विश्व युद्ध का रणक्षेत्र एशिया होगा.अमेरीका की फौजे भारत मे होगी.अमेरीकी राईफल भारत के कन्धे पर से चीन पर निशाना लगायेगी.मुस्लिम चीन के साथ होंगे,गृहयुद्ध के साथ अन्य समस्याएं भी साथ आयेगी.


जो अपनी आत्मा के करीब होंगे वही शान्ति पायेंगे.

कान भरने वालों की ही सुनते रहोगे क्या?

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From: akvashokbindu@yahoo.in
To: akvashokbindu@yahoo.in
Sent: Thu, 21 Apr 2011 08:28 IST
Subject: कान भरने वालों की ही सुनते रहोगे क्या?

हमारा नजरिया कितना गिर चुका है.तथ्यों का संश्लेशण किए बिना तीसरे व्यक्तियो की सुन सिर्फ व्यवहार कर बैठना मूर्खता है.अनेक परिवार व रिश्ते इसलिए टूटते देखे गये है कि आपस में एक दूसरे की न सुनकर निदानात्मक चर्चा न कर भड़क उठना व आपस में अपनी समस्या निपटाने की क्षमता का अभाव तीसरे व्यक्ति के चक्कर मे पड़ जाते है.हमे परिवार व समाज मे ऐसे व्यक्ति मिल जाते है जो कि अपनी धुन मे
जीकर आपस मे नुक्ताचीनी व एकदूसरे पर दोष मड़ते रहते है लेकिन समस्याओं का हल करने की योग्यता नहीं रखते .इसका मुख्य कारण इनके मन में नम्रता व विवेक का मिट जाना है.यह तटस्थ होकर पक्ष व विपक्ष दोनों पर चिन्तन नहीं कर पाते,या तो यह सामने वाले के पक्ष मे होते है या विपक्ष में लेकिन निष्पक्ष हो सत्य तक जाने का प्रयत्न नहीं करते. हाँ कान के कच्चे होने के कारण तीसरे की सुन आचरण अवश्य
कर सकते है,वास्तव में देखा जाए तो यह स्वार्थ या स्वार्थी तत्वों के चंगुल में फंस कर रह जाते हैं .यह दंश ही होते हैं न्यायवादी व मानवीय व्यवस्था मेँ .यह लोग दूसरे के जीवन मे हस्तक्षेप तो कर सकते हैं लेकिन सहयोग नहीं.समाज व देश की छोड़ो अब तो कुछ परिवारों मे यह देखने को मिल रहा है और परिजन ही कभी कभी दुश्मन नजर आने लगते है क्योकि वे कारणो व दूसरे को जानने की कोशिस न करके बस जीवन
को निराशा मे ढकेलना जानते है.बदले की भावना में इंसानियत का गला घोटते है.

Wednesday 20 April, 2011

उम्मीद ही है पहला कदम : प्रीतीश नंदी



----- Forwarded Message ----
From: Akvashokbindu <akvashokbindu@gmail.com>
To: akvashokbindu@yahoo.in
Sent: Fri, 15 April, 2011 8:53:40 AM
Subject: उम्मीद ही है पहला कदम : प्रीतीश नंदी

जिन लोगों ने 1947या1977की घटनाएं नहीं देखीं,उनके लिए यह एक जनांदोलन के साक्षी होने का पहला मौका था.देश के जिस युवा को एकजुट करने के लिए राहुल गांधी एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए थे,उन्हेँ अन्ना हजारे ने कुछ ही दिनों में एकजुट कर दिया.मैने इन युवाओं को हर जगह पाया.जंतर मंतर पर,आजाद मैदान में ,गेटवे आफ इण्डिया पर.हर शहरकी गली और कूचे में,हर टीवी चैनल पर अपने दिल की बात कहते हुए.हर उस भारतीय की तरह,जिसने इस जनान्दोलन में अपनी छोटी सी भूमिका का निर्वाह किया था,मैने भी गौरव व सशक्तता का अनुभव किया.देश को बदलने का हमारा विश्वास लौट आया था.हमने यह भी साबित कर दिया कि बुजुर्गों और नौजवानों के स्वपन भी एक हो सकते है.



.......और अब अन्ना हजारे ने एक बार फिर हमें यह सिखाया कि कुछ भी असम्भव नहीं है.सरकार चाहे कितनी ही ताकतवर क्यों न हो,उसे लोगों की आकाक्षाओं के सामने झुकना ही पड़ता है.हम प्रयास करें कि कोई भी सिनिकल व्यक्ति इस सच को झुठला न सके.

विश्व को शान्ति की झलक !



संतों की कमी नहीं धरती पर!



जो पापों से कभी मुक्त न हो सकते,हम उनको पापों से मुक्त करा देंगे.


जिन जिन मेँ गुरु भक्ति न आई,उन उन में गुरु भक्ति करा देंगे..



--परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज नाम से चर्चित सन्त तुलसी दास का यह कहना है.



02 मार्च 2009 ई0 को मैं मथुरा स्थित जयगुरुदेव आश्रम में था.एक पुस्तक 'जड़ से चेतन की ओर' एक पृष्ठ 'भविष्यवाणी'पर यह पंक्तियां लिखीं थीँ.


मेरे पास खड़ा
एक अधेड़ बोला -देखो यह लिखा है.जड़ से भगवान का भजन नहीं होता.जब आत्मा पर से कर्मों का पर्दा हटेगा खोल उतरेगा तब सुरत से सच्चा भजन होगा......इस मनुष्य मन्दिर में जहां सुरत बैठी हुई है वहीं हरि द्वार है यानि हरि के पास जाने का दरवाजा वहीं है.अच्छे बुरे कर्म करके आपने उसे दरवाजे को बंद कर दिया है आत्मकर्म करो तो दरवाजा खुल जाएगा....सत्संग तो वो है कि सत असत का निरूपण किया जाता है.



कुछ दूरी पर मंच के सामने लोग मेडिटेशन में थे.एक ओर जयगुरुदेव की लगी तश्वीर पर लिखा था कि विश्व को शान्ति अब इन्हीं से मिलेगी.

अमेरिका की
महिला भविष्यवेत्ता फ्लोरेंसे ने दी फेल आफ सैन्सेशनल कल्चर नामक पुस्तक में लिखा है कि सन 2000 ई0 आते आते प्राकृतिक संतुलन भयावह रूप से बिगड़ेगा.लोगों में आक्रोश की प्रबल भावना होगी.लोगों की अतृप्त अभिलाषाएं और जोर पकड़ेंगी व आपसी कटुता बढ़ेगी.ऐसे एक वैचारिक क्रान्ति दुनिया को प्रभावित करेगी.तीसरे विश्व युद्ध की शंका के दौरान बागडोर आध्यात्मिक प्रवृत्तियां संभालेंगी.



ओशो ने कहा है कि विभिन्न समस्याओं की जड़ हमारा मन है.प्रकृति व संसार समस्या नहीं है वरन उसको सोचने का ढंग समस्या है.स्थूल घटनाओं में परिवर्तन से सबके मन नहीं बदल जाते.मन बदलेगा गुरु का सानिध्य.अपने के अन्दर का गुरु पहचानो.हर कोई के अन्दर एक महापुरुष है.बस उस पर पकड़ बनाना मुश्किल होता है.सिर्फ निज स्वार्थ के लिए जीने की परम्परा परिवार,समाज,देश व विश्व का कल्याण नहीं कर सकती.न ही उसे चरित्र से मानव कहा जा सकता जो सिर्फ अपने निज स्वार्थ के लिए जीवन जीता है.यह एक शोध का विषय है कि आपात स्थितियों में जो बचते हैं वे क्या अपने शारीरिक ऐन्द्रिक आभा से निकल कर स्व अर्थात आत्मा की आभा का एहसास पाते हैं?


अपने अन्दर के उस सन्त को पाने के बाद,सगुण नारी (प्रकृति) में अपने मन को रमाने के बजाय अपने अन्दर के निर्गुण नारी को पहचाने के बाद उसमें रमने के बाद अपने आत्मा पर आ ही महानता पर चलने का द्वार पा सकते है और विश्व शान्ति प्रति समर्पण की सहजता पा सकते है.



हमें कभी न कभी यह सत्य स्वीकार करना पड़ेगा ही कि हम सिर्फ हड्डी मास का पुतला नहीं हैं व हम इस धरती पर जब आते हैं तो अकेले नहीं आते हैं वरन हम एक नेटवर्क मेँ बंधे होते है.हमारी अशान्ति व असन्तुष्टि का कारण यही है कि हम अपने को नहीं पहचान पाते और अपने नेटवर्क से नहीं जुड़ पाते.
अनेक के साथ ऐसा होता है कि व्यक्ति आसान सुलभ व अवसर आधारित रास्ता चुन अपनी प्रतिभा,क्षमता,सामर्थ्य व शक्ति को दबा डालता है.जीवन मेँ त्याग,संयम,आदि से काम नहीं लेता.जोखिम उठाने का साहस नहीं रखता.इसका कारण अपने स्व से दूरियों का होना है.

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