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Monday 7 November, 2011

कथांश : कैकुवाद.....

बंगाल का इक्तादार था -बुगरा खाँ . उसका पिता बलबन देश का राजा था जो अपने बड़े पुत्र मुहम्मद एवं उसके पुत्र कैखुसरव को काफी चाहता था . उस समय दिल्ली के कोतवाल पद पर था -फखरुद्दीन मुहम्मद.कैकुवाद बुगरा खाँ का पुत्र था.जो शरीर से सुन्दर था ही सुसभ्य एवं उदार भी था.


एक गांव के बाहर एक फकीर बाबा रहा करते थे . कैकुवाद के कहने पर उसके पिता बुगरा खाँ ने फकीर बाबा को जमीन दिलवा दी थी . हर सप्ताह एक बार अवश्य कैकुवाद फकीर बाबा से मिलने पहुँच जाता और उनके सत्संग मेँ काफी घण्टे रहता .


"कैकु,तू एक नेक इंसान बनेगा यदि मेरे सत्संग पर ध्यान देता रहा. कुछ शक्तियां तुझे फँसाने का कार्य करेंगी."


"बाबा!मेरे पिता को आप जानते हैँ . वे नई नई स्त्रियों के बीच व्यस्त रहते हैं . अपने दायित्वों को भूल जाते हैं . ऐसे मेँ मुझे ताज्जुब होता है कि मैँ उनका बेटा हूँ.."

"कैकू,तू एक हीरे के समान है लेकिन तेरे चारो जो धूल है वह तेरी चमक को मन्द कर देगी . सत्ता ने वैसे भी क्या दिया है आम इन्सान को ?मैं देख रहा हूँ तुझे सत्ता के गलियारे अपने मेँ घसीट कर तुम्हारे अस्तित्व को मिटाने का प्रयत्न करेंगे."

"बाबा,मैँ बस आपकी शरण मेँ रहना चाहता हूँ.मैँ वास्तविक खुशी चाहता हूँ न कि खुशी की वह चमक जो दुनिया को तो दिखायी दे लेकिन मुझे न दिखायी दे."

"कैकू,सुख दुख नाम की कोई चीज दुनिया मेँ नहीं है,यह सब तो ख्याली है."

"बाबा,मुझे खुशी है कि सुल्तान बाबा मुझे उत्तराधिकारी नहीं बनना चहते हैं हालांकि कोतवाल साहब मुझे उकसा रहे हैँ."

"तू खुद महसूस करता है कि सुल्तान के बाद तू सत्ता पा भी गया तो तेरे चारो ओर मड़राने वाले तेरे द्वारा भला नहीं होने देँगे.तुम जैसे सुसभ्य,उदार,शिक्षित सत्ता पा कर अच्छे नेतृत्व मेँ राज्य का भला कर सकते हैँ लेकिन सत्ता के नेतृत्व मेँ राज्य का भला कर सकते हैं लेकिन सत्ता के गलियारोँ के व्यक्तियों की आंखों के किरकिरी भी हो सकते हैं क्योंकि वो लोग बेईमान एवं मतलबी होते हैँ.."


"बाबा!सुल्तान बाबा की सलामती की दुआ क्यों नहीं करते हैँ आप?वे सलामत रहें.उनकी बागडोर राज्य के हित मेँ है."


"लेकिन तेरे बाबा कब तक चलेंगे?कुदरत के खेल को कौन मेट सकता है?सुल्तान काफी उम्र के हो चुके हैं फिर मौत तो जिन्दगी का एक सत्य है.वे कब तक जिन्दा रहेँगे ?उनके बाद कैखुसरब सत्ता संभालेगा.अभी तो सब ठीक है,सुल्तान के बाद क्या होगा?यह एक बड़ा सवाल है."


* * *


प्रात: काल का समय!

यमुना नदी मेँ सूरज की किरणें चमकने लगी थीँ.एक मछुआरे को एक व्यक्ति की चादर से लिपटी लाश मिल गयी .

"अरे,इसकी तो श्वांसे चल रही हैँ."


मछुआरे ने युवक से लिपटी चादर को हटा दिया .

"इसकी उम्र क्या होगी?तीस पैतीस से ज्यादा का न होगा लेकिन लकवा मारा लगता है.?"-एक युवती से मछुआरा बोला.

"इसको घर ले चलते हैं."


फिर उस युवक को दोनों अपने घर ले आये.


* * *


बलबन की मृत्यु के बाद कोतवाल फखरुद्दीन मुहम्मद ने षड़यन्त रच कर कैकुवाद को सुल्तान घोषित करवा दिया .कैखुसरब एवं उसके परिवार से वह नफरत करता था ,जिसे उसने डरा धमका कर मुल्तान भिजवा दिया था .इसके बाद सत्ता मेँ फखरुद्दीन के दमाद निजामुद्दीन का हस्तेक्षप एवं मनमानी बढ़ गयी . उसने अपने कुचक्र एवं महत्वाकांक्षा से ध्यान हटाने के लिए कैकुबाद की भावनाओं को जगा कर कैकुबाद को
बिलासिता में धकेल गद्दी पाने के प्रयत्न प्रारम्भ कर दिए . फखरुद्दीन ने उसे काफी समझाने का प्रयत्न किया . तुर्क सरदार निजामुद्दीन के विरोध मेँ आ खड़े हुए और कैकुबाद के पिता बुगरा खाँ को सूचित किया और कैकुबाद से मुलाकात करवायी . अपने पिता के कहने पर कैकुबाद ने निजामुद्दीन की हत्या करवा दी .निजामुद्दीन की हत्या के बाद सत्ता मेँ स्वच्छता एवं सुदृढता आ गयी लेकिन
........जलालुद्दीन फिरोज खिलजी को सेना का सेनापति बनाने के कारण तुर्क सरदार कैकुबाद से असन्तुष्ट हो गये . गैरतुर्क सरदारों की हत्या की जाने लगी .


कैकुबाद रोगी हो लकवा का शिकार हो चुका था .


आगे चल कर जलालुद्दीन खिलजी की शक्ति का विकास हुआ .तुर्क सरदारों ने सुल्तान कैकुबाद को उसकी अस्वस्थता के कारण उसके स्थान पर उसके तीन वर्षीय पुत्र क्यूमर्स उर्फ शमसुद्दीन को सुल्तान घोषित कर दिया और जलालुद्दीन खिलजी के हत्या की योजना बना ली .जलालुद्दीन खिलजी अपने विद्रोहियों को दबाते हुए स्वयं सुल्तान शमसुद्दीन का संरक्षक बन गया .तीन माह बाद उसने सुल्तान शमसुद्दीन
की हत्या करवा कर कैकुबाद को एक चादर मेँ लिपेट कर यमुना मेँ डलवा दिया .


मछुआरे की कुटिया में लेटा लेटा कैकुबाद सोंच रहा था-

"मैं क्या था ,क्या हो गया ?फखरुद्दीन के कहने पर राज्य की सत्ता मेँ आ गया.राज्य की सत्ता संभालना तो दूर अपनी सत्ता तक न संभाल सका . अपने पर ही शासन न कर सका.."


फकीर बाबा की बातें उसे स्मरण हो आयीं -

"इन्सान औरों पर शासन करना चाहता है लेकिन आश्चर्य कि अपने पर शासन नहीं कर पाता."


धीरे धीरे मन्द चाल मेँ कैकुबाद कुटिया से बाहर आ गया . वह सोंचता जा रहा था -"मुझे अब शेष जीवन अज्ञातबास मेँ रह कर फकीर बाबा की शिक्षाओं के आधार पर जीना है."

जलालुद्दीन फिरोज खिलजी को सेना का सेनापति बनाना क्या कैकुबाद के लिए उचित था?और फिर गैरतुर्क सरदारों की हत्या पर कैकुबाद नियंत्रण क्यों न कर सका ?

Thursday 3 November, 2011

श्रीराम शर्मा जन्म शताब्दी महोत्सव : वैज्ञानिक अध्यात्मवाद के लिए चिरस्मरणीय श्रीराम शर्मा जी

महापुरुष आते हैं और चले जाते हैं लेकिन निशानियां छोंड़ जाते हैँ . जो उनकी उपस्थिति मेँ उनकी शरण मेँ आ जाते हैं उनका उद्धार हो जाता है शेष तो भीड़ का ही हिस्सा बन कर रह जाते हैँ.इन दिनों गायत्री परिवार के संस्थापक श्रीराम शर्मा आचार्य जी का जन्म शताब्दी महोत्सव है.श्रीराम शर्मा को वैज्ञानिक अध्यात्मवाद के लिए हमेसा याद किया जाएगा.

धर्म,दर्शन और विज्ञान तीन प्रबल विचार शक्तियां हैं ,किन्तु इनका अलगाव और आपसी टकराव मानव जीवन मेँ वरदानों की सृष्टि नहीं कर सकता . श्रीराम शर्मा वैज्ञानिक अध्यात्मवाद के लिए हमारे सदा प्रेरणा स्रोत रहेंगे.धर्म दर्शन व विज्ञान का मिश्रण कर उन्होने हमेँ जो रसानन्द दिया है उसके लिए हम सदा ऋणी रहेंगे.हम उनकी निशानियों से जुड़े रहेंगे लेकिन उनसे सम्वंधित संस्थानों के सगुण उपासना सम्बंधी कार्यक्रमों मेँ सम्मिलित होने का इच्छुक नहीं रहा हूँ. मैं तो प्राणायाम , स्वाध्याय .अध्ययन ,शास्त्रार्थ व मेडिटेशन पर विश्वास रखता हूँ .

शर्मा जी ने ठीक ही कहा है कि मनुष्य कुछ और नहीं ,भटका हुआ देवता है.दरअसल मानव अभी अपने को ही नहीं पहचाना है .स्थूल मेँ जीता है.


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Wednesday 2 November, 2011

पीस पार्टी व मु. अय्यूब : कांग्रेस का विकल्प

इन दिनों अनेक राजनैतिक पार्टियों की बाढ़ सी आ गयी है जिनमे एक पार्टी पीस पार्टी का बढ़ता जनाधार देख कर लोग अचम्भे मेँ हैँ. 10फरवरी2008को स्थापित पीस पार्टी से आज की तारीख मेँ कोई बच्चा तक अन्जान नहीं है.पीस पार्टी गरीब आदमी की आवाज बनती जा रही है.पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अय्यूब के भाषण हमेँ भी प्रभावित करते रहे हैँ लेकिन जैसा कि ये नारा दिए हैँ कि एकता का राज चलेगा हिन्दू मुस्लिम साथ चलेगा ,पर कुछ शंकाएं हैँ.मैं पीस पार्टी के नेताओं के मोबाइल नम्बरों पर मैसेज भेजता रहा हूँ कि कैसे एकता का राज चलेगा?क्या आप जन देश व अन्य देशों के पुरातत्विक स्रोतों के सच को स्वीकार कर सकोगे?आप कटटर मुस्लिमों व कटटर गैरमुस्लिमों से कैसे निपटोगे?फिर देश के हित में कुछ कठोर निर्णय होने हैं जो कि वोटों की राजनीति से ऊपर उठे बिना सम्भव नहीं है.

एक संकल्प : नारको परीक्षण की अनिवार्यता


मैं बचपन से ही कुछ ऐसे हालात जिया हूँ जब मुझे लगा है कि गवाह ,सबूत व जन बल का अपने पक्ष या विपक्ष मेँ होना काफी नहीं है .हर हालात मेँ नारको परीक्षण व ब्रेन मेपिंग अनिवार्य होना चाहिए.पीस पार्टी जिसका समर्थन करती है


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