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From: Ashok kumar Verma Bindu <akvashokbindu@yahoo.in>
To: "go@blogger.com" <go@blogger.com>
Date: मंगलवार, 13 सितंबर, 2011 2:27:33 पूर्वाह्न GMT+0000
Subject: सपा का क्रान्तिरथ और समाजवाद व क्रान्ति!
दक्षिण पंथी व वाम पंथी विचार धारा का सह सम अस्तित्व का मैं पक्षधर रहा हूँ व लोहिया के विचारों से प्रभावित रहा हूँ. उप्र मेँ विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव राज्य की बसपा सरकार की कथित जनविरोधी नीतियों के खिलाफ जनजागरण और सत्ता परिवर्तन के लिए सपा मुख्यालय से क्रान्तिरथ यात्रा पर निकल पड़े हैं.पार्टी सूत्रों के अनुसार 14सितम्बर1987को विपक्षी नेता मुलायम सिह ने तत्कालीन सरकार के खिलाफ क्रान्ति रथ यात्रा निकाल कर प्रदेश मेँ कुशासन व भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल फूंका था और वंचितों पिछड़ों तथा अल्पसंख्यकों मेँ विश्वास जगाया था.
यह सब क्योँ?सिर्फ सत्ता परिवर्तन या फिर व्यवस्था परिवर्तन?जनजाग्रति के लिए तो हर वक्त हलचल चाहिए न कि सिर्फ सत्ता परिवर्तन के तक सिर्फ.और जब अपना शासन आ जाए तो फिर विपक्ष मेँ रह कर जिन मुद्दों को लेकर विरोध किया जा रहा था,उनका हम समर्थक न बन जाएं.हमने तो यही देखा है कि सत्ता चाहे किसी की हो,ईमानदारी व हक के लिए किसी आम आदमी की नहीं सुनी जाती.विधायक मंत्री आदि सब धन,बाहु, जन,आदि के सामने समर्पण किये रहते हैँ.आम आदमी न्याय से दूर रहजाए
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