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Friday, 9 September 2011
9/11 बरसी और आतंकवाद!
इस समय मीडिया मेँ 9/11 बरसी के चर्चे हैं .आतंकवाद पर समाचार व लेख सामने आरहेहैं.आतंकवाद खिलाफ लड़ाई मेँ दृढ़इच्छा कमी है.देश व देश के बाहर कोई भी शासक आतंकवाद को खत्म करने को प्रथम व सर्वोच्च वरीयता देना नहीं चाहता.आतंकवादी सरगना लादेन की मृत्यु से पूर्व के तीस मिनट की अमेरीकी शैली पर कम से कम भारत को तो सीख लेनी ही चाहिए हालांकि अभी अमेरीका की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में लोगो की निगाहेँ संदिग्ध है.देशनागरिकों के सम्मान व सुरक्षा को हरहालत मेँ संवैधानिक कोशिशें होती रहनी चाहिए.आफसोस की बात हैं अभी जल्द दिल्ली हाईकोर्ट के सामने हुए बम विस्फोट में पीड़ित परिजनों को कांग्रेस मंत्रियों,नेताओं के विरोध में आखिर नारेबाजी क्यों करनी पड़ी ?इन नेताओं को अपनी कार्यशैली व सोंच का अध्ययन कर बदलाव की आवश्यकता है.देश के चलाने वाले कायर नेताओं की संख्या बहुतायत मेँ हैं . जब क्षत्रियों का ही क्षत्रियत्व सोया हुआ है तो अन्य नागरिकों व नेताओं का क्या कहेँ?जो क्षत्रियत्व (जातिभेद से ऊपर उठकर परोपकार व समाज देश,आदि की निष्पक्ष सेवा भावना) आज समाज,देश के हित मेँ उठता भी है,उसे अलोकतान्त्रिक ढंग से कुचल दे.
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