Powered By Blogger

Monday, 8 August 2011

नक्सली कथांश : कब खत्म नक्सल

हरिकृष्ण कायस्थ आगे बढ़ा लेकिन कोई भी सहयोग के साथ सच्चाई को रखने वाला नहीं मिला.कुछ मुस्लिम युवक ही सिर्फ सहयोग में थे.पूर्व विधायक यदुधन राज यादव ने सिर्फ इतना किया था कि कालेज कमेटी के सदस्यों से मिले थे लेकिन वह हरिकृष्ण कायस्थ व उनके सहयोगियों को सन्तुष्ट नहीं कर सके.ऐसा ही जिला कार्यालय पर शिक्षा अधिकारियों के द्वारा हुआ.सब के सब शिक्षा माफियाओं के समर्थन में खड़े.

केशव कन्नौजिया के पथ को क्या स्वीकार करना पड़ेगा?
क्या टेँढ़ी अंगुली से घी निकालना गलत है?इसके बिना चारा क्या?मेरे साथ यह अच्छाई है कि मैं मरने के लिए भी तैयार हूँ ऐसे में मैँ क्या नहीं कर सकता?ऐ श्वेतवसन अपराधियों में कितने मरने के लिए तैयार है?ऐसे में हम संघर्ष कर दुनिया को मैसैज तो दे ही सकते हैं.और फिर जब धर्मशास्त्र ही हिंसा से भरे हैं तो फिर मैं कुरुशान(गीता) के आधार पर क्यों नहीं आगे बढ़ सकता?गीता आज भी प्रासांगिक है. चन्द्रसेन क्या अपराधी था?यदि अपराधी था भी तो उसे अपराधी बनाने वालों पर शिकंजा क्यों नहीं कसा गया?फिर एक ओर जेल में ही हत्याएं?
आखिर नक्सलवाद क्यों न पनपे?आदिकाल से अब तक कब खत्म हुआ नक्सलवाद.....?

----------
मेरें Nokia फ़ोन से भेजा गया

No comments: