केशव कन्नौजिया के पथ को क्या स्वीकार करना पड़ेगा?
क्या टेँढ़ी अंगुली से घी निकालना गलत है?इसके बिना चारा क्या?मेरे साथ यह अच्छाई है कि मैं मरने के लिए भी तैयार हूँ ऐसे में मैँ क्या नहीं कर सकता?ऐ श्वेतवसन अपराधियों में कितने मरने के लिए तैयार है?ऐसे में हम संघर्ष कर दुनिया को मैसैज तो दे ही सकते हैं.और फिर जब धर्मशास्त्र ही हिंसा से भरे हैं तो फिर मैं कुरुशान(गीता) के आधार पर क्यों नहीं आगे बढ़ सकता?गीता आज भी प्रासांगिक है. चन्द्रसेन क्या अपराधी था?यदि अपराधी था भी तो उसे अपराधी बनाने वालों पर शिकंजा क्यों नहीं कसा गया?फिर एक ओर जेल में ही हत्याएं?
आखिर नक्सलवाद क्यों न पनपे?आदिकाल से अब तक कब खत्म हुआ नक्सलवाद.....?
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मेरें Nokia फ़ोन से भेजा गया
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