सनडेक्सरन निवासी एक तीननेत्री अपने अण्डाकार यान से एक यति मानव के साथ पृथुमही की यात्रा पर था.
यह वह काल था जिसे जीवनशास्त्रियों,मानवशास्त्रियों,पुरातत्वविदों,आदि ने इस काल को अभिनूतन काल कहा है.
"आदम व हबबा के उत्त्पत्ति का स्थान हालांकि सउदी अरब या भूमध्यसागरीय प्रदेश था लेकिन ज्ञानी मानव का विस्तार का कारण तुम यति मानव होगे.सांतवें मनु के पूर्वज यति ही होंगे. "
यति खामोश थाय.
"आज यहाँ सागर है.भविष्य में यहां पर पर्वत होगा.इसका मूलस्थान ब्रहमदेश नाम से जाना जाएगा.जहाँ सूक्ष्म अनन्त शक्ति अंश विराजमान होकर मानव सभ्यता को पल्लवित व विकसित करने के लिए मार्ग प्रशस्त करेगी.विभिन्न आत्माओं में बंट कर ब्रह्म यहीं बास करेगा.धरती के अन्य प्राणी स्थूल,भाव,सूक्ष्म,मनस भाग शरीर से मुक्त हो आत्मा मेँ प्रवेश कर यहीं से नियन्त्रित हों और धरती पर जन्म लेने वाली पूर्वजाग्रत आत्मा के मदद के लिए यहीं से सहायता को आत्माएं पहुंचेंगी.यति का शरीर धारण कर यहां आत्माएं स्थूल,भाव,सूक्ष्म व मनस मुक्त रहोगे "
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मेरें Nokia फ़ोन से भेजा गया
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