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Wednesday, 16 February 2011

कौन चाहे मजबूत न्यायपालिका व नारको परीक्षण ब्रेन रीडिंग?

                                                समाज मेँ चार तरह के लोग हैँ-शोषण करने वाले, शोषित होने वाले, अबसरवादी व शोषण के खिलाफ चलने वाले.एक एक कर यदि प्रत्येक व्यकति का यदि अध्ययन करो तो ज्ञात होगा कि हर कोई मानवता से गिरा है.गिने चुने लोग हैँ समाज मेँ जो ठीक कहे जा सकते हैँ लेकिन उनकी इमेज क्या है समाज मेँ यदि वे भौतिक स्तर पर लोगोँ के बराबर या उच्च नहीँ हैँ?



            12 फरवरी को एक समाचार प्रकाशित हुआ था कि कोई सरकार नहीं चाहती मजबूत न्यायपालिका.सरकार भी स्वयं मेँ क्या है?कुछ व्यक्तियों का समूह.व्यक्ति मानवता व प्रकृति के खातिर अपनी सोँच, वस्तुओँ ,आदि का त्याग व बलिदान नहीँ कर सकता वरन दूसरे मानवोँ के अरमानोँ, मानवोँ, प्रकृति, आदि का कत्ल कर सकता है.वह न्याय, सत ,प्रेम, उदारता ,ज्ञान, सुप्रबन्धन, प्रकृति ,आदि के सामने समर्पण नहीँ कर सकता लेकिन अन्याय ,अज्ञानता ,असत्य ,हिंसा ,विदोहन ,आदि के सामने समर्पण कर सकता है.जब हम असत्य ,अन्याय, मनमानी ,अज्ञानता, हिंसा ,आदि संसाधनोँ का इस्तेमाल करते आये हैँ तो फिर कैसे चाहेँगे कि न्यायपालिका मजबूत हो?यही स्थिति नारको परीक्षण व ब्रेन रीडिंग को लेकर है.पूरी की पूरी मिशनरी तन्त्र कैसे लोगोँ के हाथोँ मेँ है?वे कब ऐसा चाहेंगे?

ASHOK KUMAR VERMA'BINDU'

<www.akvashokbindu.blogspot.com>





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