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Tuesday 8 February, 2011

14 फरबरी : वेलेन्टाइन डे !


Sent: Tue, 08 Feb 2011 20:48 IST
Subject: 14 फरबरी : वेलेन्टाइन डे !
इस धरती पर प्रेम है जो न, वह ब्रह्म लोक मेँ भगवान ही है.

क्या कहा ?भगवान है?

भाई,सब नजरिये का खेल है.तुम किस प्रेम को प्रेम समझ रहे हो?प्रेम किसी का खून नहीँ बहाता किसी को उदास नहीँ करता.प्रेम दूसरों के लिए जीना सिखाता है.अपने लिए दूसरे को कष्ट देना नहीं.यह सिर्फ एक दिन इजहार के लिए नहीँ है.
मेरी नजर मेँ पर्वोँ का कोई महत्व नहीँ है.बस इतना कि इस बहाने कुछ दुकानदारोँ का आमदनी बढ़ जाती है ,जीवन मेँ कुछ हट कर ऐसा हो जाता है जो रोज मर्रे की उबाऊ जिन्दगी से उबारता है और इन्सान इन्सान के मध्य सम्बन्धों की दृष्टि से कुछ नयापन आ जाता है .लेकिन जीवन की सच्चाई इआस सब से हट कर है.इन पर्वोँ उत्सवोँ का जो उद्धेश्य होता है ,उस प्रति हम सब अब संवेदनहीन ही हो चुके हैँ.जो सब
दिखता है वह सब स्थूल है लेकिन भाव मनस जगत से ..?भौतिकवादी भोगवाद मेँ लोगोँ के जीवन से मनस से प्रेम विदा है लेकिन प्रेम दिवस मनाने चले हैँ,प्रेम जीवन क्योँ नहीँ मनाते?
सभी भावनाओँ मेँ एक भावना अधिकार जमाये हुए है ,सिर्फ काम.धर्म अर्थ काम मोक्ष के बीच सन्तुलित सम्बन्ध नहीँ रह गया है. अब काम ही प्रेम है,सेक्स इज लव.प्रेम तो सर्फ मन का एहसास है ,मन की स्थिति है.प्रेम जब व्यक्ति का जागता है तो व्यक्ति की अपनी इच्छाएं खत्म हो जाती हैँ,दूसरे की इच्छाएँ अपनी इच्छाएँ हो जाती हैँ.
बात है इन पर्वोँ के विरोध की ,शिव सेना ,विश्व हिन्दू परिषद,आदि के द्वारा इन पर्वोँ का विरोध सिर्फ अराजक है .जो काम अफगानिस्तान मेँ तालिबान कर रहा है वही काम यहाँ यह कर रहे हैँ.वहाँ मुस्लिम जनता पर तालिबान के द्वारा काफी कुछ थोपा जाना तथा यहाँ शिव सेना,विश्व हिन्दू परिषद ,आदि द्वारा वेलेन्टाइन डे, आदि
का विरोध एवं इस विरोध मेँ युगल प्रेमियोँ के साथ किए जाने वाले व्यवहार अराजक हैँ.यह सब उन्मादी व साम्प्रदायिक है.यदि ये वास्तव मेँ जागरुक हैँ तो खुलेआम जहर बेंचने वालोँ के खिलाफ बिगुल क्योँ नहीँ बजाते?गुटखा ,बीड़ी, सिगरेट, शराब,खाद्य मिलावट,आदि व जाति व्यवस्था,छुआ छूत,आदि के खिलाफ बिगुल क्योँ नहीँ बजाते? आर्य समाज के विरोध मेँ हो तो उसके खिलाफ बगाबत क्योँ नहीँ करते?यदि
आर्य समाज के समर्थन मेँ हो तो समर्थन मेँ आन्दोलन क्योँ नहीँ खड़ा करते?क्या वास्तव मेँ ये हिन्दू समाज का भला चाहते है ? तुम्हें हिन्दू होने पर गर्व है लेकिन हमेँ नहीं और अभी अपने को आर्य होने पर भी नहीँ. आर्य का अर्थ है-श्रेष्ठ,मैँ अभी श्रेष्ठ कहाँ ? धन्य,धन्य .....?!
ओम आमीन ! ओम तत सत!!

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