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Friday 20 May, 2011

What is India? : SALIL GEWALI



सलिल गेवाली द्वारा संकलित एवं प्रकाशित एक पुस्तक 'वाट इज इंडिया' सामने आयी है.जो कि औपनिवेशिक शासन के लूटपाट और विध्वंस और भारतीय श्रेष्ठता को नजरअंदाज किये जाने की सुविचारित साजिश के विरुद्ध युवा भारतीय मानस की एक सशक्त प्रतिक्रिया है.



खुसरो मेल, बरेली 8 मई 2011 समाचार पत्र के पृष्ठ आठ पर हिमांशु जोशी'भारत एक नई खोज'लेख में लिखते हैं-



"पश्चिमी देशों द्वारा अपनी श्रेष्ठता साबित करने के लिए भारत को लगातार विरोधाभास से परिपूर्ण सपेरों और रहस्यों से परिपूर्ण देश के रुप में प्रचारित किया जाता रहा है.इस दुराग्रह के चलते प्राचीन भारतीय तर्कशास्त्रियों और वैज्ञानिकों द्वारा विकसित सिद्धांतों के साक्ष्य सामान्यत: वैज्ञानिक साहित्य की श्रेणी में नहीं स्वीकार किये जाते जबकि गणित,तर्कशास्त्र,दर्शन और औषधि विज्ञान के भारतीय ग्रन्थों में वास्तविक संसार और आत्मा परमात्मा के मूल्यों का विषद तुलनात्मक विवेचन किया गया है.दुष्प्रचार की इस तपिश को विश्व में अपनी प्रतिभा का डंका बजाने वाले युवा अप्रवासी भारतीय ने अपेक्षाकृत ज्यादा शिद्दत से महसूस किया और शायद इसी तथ्य के मद्देनजर अमरीका में रह रही फेसबुक की एक मित्र प्रियंका शर्मा के सौजन्य से सलिल गेवाली द्वारा संकलित एवं प्रकाशित पुस्तक ' वाट इज इंडिया ' से रुबरु होने का अवसर मिला .यह पुस्तक अल्बर्ट आइंसटाइन ,मार्क ट्वेन,एनी बेसेन्ट और राल्फ एमरसन समेत दुनिया भर के अनेक मूर्धन्य मनीशियों के भारतीय प्रतिभा के प्रति अनुभवों को साक्ष्य बनाकर पश्चिमी देशों द्वारा सदियों से किये जा रहे दुर्भावना पूर्ण कुप्रचार को बिना बोले ही अकाट्य रुप से शोथरा साबित करने के साथ सहज ही भारतीयता पर गर्व का अहसास कराने वाली शीतल बहार की मानिंद है. .... पश्चिमी देशों के सुनियोजित दुष्प्रचार के बावजूद भारत ने एक रहस्यमयी सुंदरी की तरह हमेशा दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया.
"


पश्चिमी देशों मेँ भारतीय साख बढ़ाने में अप्रवासी भारतीयों का योगदान अग्रणी रहेगा.यहां हमें ओशो का कथन स्मरण हो आया कि भविष्य में भारतीय विचार धारा प्रवाहित होगी,लेकिन भारत से नहीं विदेश से.

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