संवाहक!
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किसी ने कहा है कोई कौम इस बात पर जिंदा रहती है कि उस कौम में कौम पर मरने वालों की संख्या कितनी रही है?इस लिए हमें गुणवत्ता के लिए जान देकर भी सतर्क रहना चाहिए।इसलिए ठीक कहा गया-मृत्यु है आचार्य।तो किसी ने योग के आठ अंग में से पहला अंग यम को भी मृत्यु से जोड़ा । अफसोस है आज कल स्कूल, विद्यार्थी, शिक्षक, अभिवावक ही ज्ञान स्थिति के हिसाब से वातावरण व गुणवत्ता के लिए जीना नहीं चाहते।
कमलेश डी पटेल दाजी ने ठीक कहा है-शिक्षा कमजोर दिल वालों के लिए नहीं है। आज हम जहां पर खड़े हैं,उसके लिए हमारी आत्मा व आत्माओं का योगदान महत्वपूर्ण है,किसी को ये दिखाई न दे तो हम क्या करें?
ध्यान रखो, क्रांति हाड़ मास शरीर के रंगरूप,कद काठी, जाति मजहब,अमीरी गरीबी......आदि भौतिकताओं के कारण नहीं हुई।अनेक देश ऐसे हैं जहां छोटे बच्चे भी कहते हैं हमारा लक्ष्य है देश व समाज की रक्षा करना ।लेकिन समाज व देश की रक्षा उस देश के व्यक्तियों ,प्राणियों, वनस्पति आदि के सम्मान के साथ महापुरुष की नजर में चरित्र गढ़ने से है।वर्तमान समाज व सामजिकता के नजर में चरित्र गढ़ने से नहीं।
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किसी ने कहा है कोई कौम इस बात पर जिंदा रहती है कि उस कौम में कौम पर मरने वालों की संख्या कितनी रही है?इस लिए हमें गुणवत्ता के लिए जान देकर भी सतर्क रहना चाहिए।इसलिए ठीक कहा गया-मृत्यु है आचार्य।तो किसी ने योग के आठ अंग में से पहला अंग यम को भी मृत्यु से जोड़ा । अफसोस है आज कल स्कूल, विद्यार्थी, शिक्षक, अभिवावक ही ज्ञान स्थिति के हिसाब से वातावरण व गुणवत्ता के लिए जीना नहीं चाहते।
कमलेश डी पटेल दाजी ने ठीक कहा है-शिक्षा कमजोर दिल वालों के लिए नहीं है। आज हम जहां पर खड़े हैं,उसके लिए हमारी आत्मा व आत्माओं का योगदान महत्वपूर्ण है,किसी को ये दिखाई न दे तो हम क्या करें?
ध्यान रखो, क्रांति हाड़ मास शरीर के रंगरूप,कद काठी, जाति मजहब,अमीरी गरीबी......आदि भौतिकताओं के कारण नहीं हुई।अनेक देश ऐसे हैं जहां छोटे बच्चे भी कहते हैं हमारा लक्ष्य है देश व समाज की रक्षा करना ।लेकिन समाज व देश की रक्षा उस देश के व्यक्तियों ,प्राणियों, वनस्पति आदि के सम्मान के साथ महापुरुष की नजर में चरित्र गढ़ने से है।वर्तमान समाज व सामजिकता के नजर में चरित्र गढ़ने से नहीं।
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