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Wednesday 20 April, 2011

उम्मीद ही है पहला कदम : प्रीतीश नंदी



----- Forwarded Message ----
From: Akvashokbindu <akvashokbindu@gmail.com>
To: akvashokbindu@yahoo.in
Sent: Fri, 15 April, 2011 8:53:40 AM
Subject: उम्मीद ही है पहला कदम : प्रीतीश नंदी

जिन लोगों ने 1947या1977की घटनाएं नहीं देखीं,उनके लिए यह एक जनांदोलन के साक्षी होने का पहला मौका था.देश के जिस युवा को एकजुट करने के लिए राहुल गांधी एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए थे,उन्हेँ अन्ना हजारे ने कुछ ही दिनों में एकजुट कर दिया.मैने इन युवाओं को हर जगह पाया.जंतर मंतर पर,आजाद मैदान में ,गेटवे आफ इण्डिया पर.हर शहरकी गली और कूचे में,हर टीवी चैनल पर अपने दिल की बात कहते हुए.हर उस भारतीय की तरह,जिसने इस जनान्दोलन में अपनी छोटी सी भूमिका का निर्वाह किया था,मैने भी गौरव व सशक्तता का अनुभव किया.देश को बदलने का हमारा विश्वास लौट आया था.हमने यह भी साबित कर दिया कि बुजुर्गों और नौजवानों के स्वपन भी एक हो सकते है.



.......और अब अन्ना हजारे ने एक बार फिर हमें यह सिखाया कि कुछ भी असम्भव नहीं है.सरकार चाहे कितनी ही ताकतवर क्यों न हो,उसे लोगों की आकाक्षाओं के सामने झुकना ही पड़ता है.हम प्रयास करें कि कोई भी सिनिकल व्यक्ति इस सच को झुठला न सके.

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