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Monday 25 October, 2010

करवा चौथ पर आज !

----Forwarded Message----
From: akvashokbindu@yahoo.in
To: akvashokbindu@yahoo.in
Sent: Tue, 26 Oct 2010 08:00 IST
Subject: करवा चौथ पर आज !

करवाचौथ पर आज फिर वही चिन्तन.रक्षा बन्धन ,भैया दूज,करवाचौथ ,आदि पर्व क्या आज के नवीनतम ज्ञान के परिवेश मेँ क्या लिँग भेद का पर्याय नहीँ है ?साल भर हम चाहेँ इन्सानोँ के प्रति कैसा भी व्यवहार करेँ?धर्म क्या यही सीख देता है कि जीवन के कुछ दिवस ही सात्विक जीवन जिएं?यदि हाँ,तो हम ऐसे धर्म पर लात मारता हूँ.यह झूठा धर्म है.यह पर्व मनाने का मतलब है जिनसे हम अपने व्यवहारिक जीवन मेँ
अलग हो गये हैँ उसको कुछ दिवस याद कर लेना.जिसे इन्सान अपने जीवन से दूर किए हुए है,बस कुछ दिन याद कर रहा है और जो जीवन भर अपन आचरण मेँ लाने का प्रत्यन कर रहा है,उस पर कमेँटस कसते हैँ यहाँ उन्हेँ उपेक्षित कर देते हैँ.आज के अवसर मैँ उन्हेँ अपने जीवन से वहिष्कृत करता हूँ,उनके लिए मेरे दिल मेँ कोई जगह नहीँ है.


मैँ तो चार आर्य सत्य व आष्टांगिक मार्ग ही धर्म पर चलने का श्रेष्ठ मार्ग मानता हूँ.
अब आप मुझे बौद्ध या जैन मत का कहेँगे.जैसा लोग कहते आये हैँ.आप लोग मतभेद मेँ ही जीते आये हैँ.ईमानदारी से धर्म मेँ कहाँ जिए हैँ.मेरा तो मानना है कि व्यक्ति चाहेँ किसी मत से हो ,वह यदि धर्म के प्रति ईमानदार है तो चारो आर्य सत्य व आष्टांगिक मार्ग को उपेक्षित नहीँ कर सकता .


मधुरता व उदारता के बिना धर्म रिश्तेदारी ढोँग है.धर्म मेँ तो बदले का भाव भी नहीँ चलता.

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