एक गांव के बाहर एक फकीर बाबा रहा करते थे . कैकुवाद के कहने पर उसके पिता बुगरा खाँ ने फकीर बाबा को जमीन दिलवा दी थी . हर सप्ताह एक बार अवश्य कैकुवाद फकीर बाबा से मिलने पहुँच जाता और उनके सत्संग मेँ काफी घण्टे रहता .
"कैकु,तू एक नेक इंसान बनेगा यदि मेरे सत्संग पर ध्यान देता रहा. कुछ शक्तियां तुझे फँसाने का कार्य करेंगी."
"बाबा!मेरे पिता को आप जानते हैँ . वे नई नई स्त्रियों के बीच व्यस्त रहते हैं . अपने दायित्वों को भूल जाते हैं . ऐसे मेँ मुझे ताज्जुब होता है कि मैँ उनका बेटा हूँ.."
"कैकू,तू एक हीरे के समान है लेकिन तेरे चारो जो धूल है वह तेरी चमक को मन्द कर देगी . सत्ता ने वैसे भी क्या दिया है आम इन्सान को ?मैं देख रहा हूँ तुझे सत्ता के गलियारे अपने मेँ घसीट कर तुम्हारे अस्तित्व को मिटाने का प्रयत्न करेंगे."
"बाबा,मैँ बस आपकी शरण मेँ रहना चाहता हूँ.मैँ वास्तविक खुशी चाहता हूँ न कि खुशी की वह चमक जो दुनिया को तो दिखायी दे लेकिन मुझे न दिखायी दे."
"कैकू,सुख दुख नाम की कोई चीज दुनिया मेँ नहीं है,यह सब तो ख्याली है."
"बाबा,मुझे खुशी है कि सुल्तान बाबा मुझे उत्तराधिकारी नहीं बनना चहते हैं हालांकि कोतवाल साहब मुझे उकसा रहे हैँ."
"तू खुद महसूस करता है कि सुल्तान के बाद तू सत्ता पा भी गया तो तेरे चारो ओर मड़राने वाले तेरे द्वारा भला नहीं होने देँगे.तुम जैसे सुसभ्य,उदार,शिक्षित सत्ता पा कर अच्छे नेतृत्व मेँ राज्य का भला कर सकते हैँ लेकिन सत्ता के नेतृत्व मेँ राज्य का भला कर सकते हैं लेकिन सत्ता के गलियारोँ के व्यक्तियों की आंखों के किरकिरी भी हो सकते हैं क्योंकि वो लोग बेईमान एवं मतलबी होते हैँ.."
"बाबा!सुल्तान बाबा की सलामती की दुआ क्यों नहीं करते हैँ आप?वे सलामत रहें.उनकी बागडोर राज्य के हित मेँ है."
"लेकिन तेरे बाबा कब तक चलेंगे?कुदरत के खेल को कौन मेट सकता है?सुल्तान काफी उम्र के हो चुके हैं फिर मौत तो जिन्दगी का एक सत्य है.वे कब तक जिन्दा रहेँगे ?उनके बाद कैखुसरब सत्ता संभालेगा.अभी तो सब ठीक है,सुल्तान के बाद क्या होगा?यह एक बड़ा सवाल है."
* * *
प्रात: काल का समय!
यमुना नदी मेँ सूरज की किरणें चमकने लगी थीँ.एक मछुआरे को एक व्यक्ति की चादर से लिपटी लाश मिल गयी .
"अरे,इसकी तो श्वांसे चल रही हैँ."
मछुआरे ने युवक से लिपटी चादर को हटा दिया .
"इसकी उम्र क्या होगी?तीस पैतीस से ज्यादा का न होगा लेकिन लकवा मारा लगता है.?"-एक युवती से मछुआरा बोला.
"इसको घर ले चलते हैं."
फिर उस युवक को दोनों अपने घर ले आये.
* * *
बलबन की मृत्यु के बाद कोतवाल फखरुद्दीन मुहम्मद ने षड़यन्त रच कर कैकुवाद को सुल्तान घोषित करवा दिया .कैखुसरब एवं उसके परिवार से वह नफरत करता था ,जिसे उसने डरा धमका कर मुल्तान भिजवा दिया था .इसके बाद सत्ता मेँ फखरुद्दीन के दमाद निजामुद्दीन का हस्तेक्षप एवं मनमानी बढ़ गयी . उसने अपने कुचक्र एवं महत्वाकांक्षा से ध्यान हटाने के लिए कैकुबाद की भावनाओं को जगा कर कैकुबाद को
बिलासिता में धकेल गद्दी पाने के प्रयत्न प्रारम्भ कर दिए . फखरुद्दीन ने उसे काफी समझाने का प्रयत्न किया . तुर्क सरदार निजामुद्दीन के विरोध मेँ आ खड़े हुए और कैकुबाद के पिता बुगरा खाँ को सूचित किया और कैकुबाद से मुलाकात करवायी . अपने पिता के कहने पर कैकुबाद ने निजामुद्दीन की हत्या करवा दी .निजामुद्दीन की हत्या के बाद सत्ता मेँ स्वच्छता एवं सुदृढता आ गयी लेकिन
........जलालुद्दीन फिरोज खिलजी को सेना का सेनापति बनाने के कारण तुर्क सरदार कैकुबाद से असन्तुष्ट हो गये . गैरतुर्क सरदारों की हत्या की जाने लगी .
कैकुबाद रोगी हो लकवा का शिकार हो चुका था .
आगे चल कर जलालुद्दीन खिलजी की शक्ति का विकास हुआ .तुर्क सरदारों ने सुल्तान कैकुबाद को उसकी अस्वस्थता के कारण उसके स्थान पर उसके तीन वर्षीय पुत्र क्यूमर्स उर्फ शमसुद्दीन को सुल्तान घोषित कर दिया और जलालुद्दीन खिलजी के हत्या की योजना बना ली .जलालुद्दीन खिलजी अपने विद्रोहियों को दबाते हुए स्वयं सुल्तान शमसुद्दीन का संरक्षक बन गया .तीन माह बाद उसने सुल्तान शमसुद्दीन
की हत्या करवा कर कैकुबाद को एक चादर मेँ लिपेट कर यमुना मेँ डलवा दिया .
मछुआरे की कुटिया में लेटा लेटा कैकुबाद सोंच रहा था-
"मैं क्या था ,क्या हो गया ?फखरुद्दीन के कहने पर राज्य की सत्ता मेँ आ गया.राज्य की सत्ता संभालना तो दूर अपनी सत्ता तक न संभाल सका . अपने पर ही शासन न कर सका.."
फकीर बाबा की बातें उसे स्मरण हो आयीं -
"इन्सान औरों पर शासन करना चाहता है लेकिन आश्चर्य कि अपने पर शासन नहीं कर पाता."
धीरे धीरे मन्द चाल मेँ कैकुबाद कुटिया से बाहर आ गया . वह सोंचता जा रहा था -"मुझे अब शेष जीवन अज्ञातबास मेँ रह कर फकीर बाबा की शिक्षाओं के आधार पर जीना है."
जलालुद्दीन फिरोज खिलजी को सेना का सेनापति बनाना क्या कैकुबाद के लिए उचित था?और फिर गैरतुर्क सरदारों की हत्या पर कैकुबाद नियंत्रण क्यों न कर सका ?
1 comment:
वाह जी सुंदर कथा रही
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