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Thursday, 3 November 2011

श्रीराम शर्मा जन्म शताब्दी महोत्सव : वैज्ञानिक अध्यात्मवाद के लिए चिरस्मरणीय श्रीराम शर्मा जी

महापुरुष आते हैं और चले जाते हैं लेकिन निशानियां छोंड़ जाते हैँ . जो उनकी उपस्थिति मेँ उनकी शरण मेँ आ जाते हैं उनका उद्धार हो जाता है शेष तो भीड़ का ही हिस्सा बन कर रह जाते हैँ.इन दिनों गायत्री परिवार के संस्थापक श्रीराम शर्मा आचार्य जी का जन्म शताब्दी महोत्सव है.श्रीराम शर्मा को वैज्ञानिक अध्यात्मवाद के लिए हमेसा याद किया जाएगा.

धर्म,दर्शन और विज्ञान तीन प्रबल विचार शक्तियां हैं ,किन्तु इनका अलगाव और आपसी टकराव मानव जीवन मेँ वरदानों की सृष्टि नहीं कर सकता . श्रीराम शर्मा वैज्ञानिक अध्यात्मवाद के लिए हमारे सदा प्रेरणा स्रोत रहेंगे.धर्म दर्शन व विज्ञान का मिश्रण कर उन्होने हमेँ जो रसानन्द दिया है उसके लिए हम सदा ऋणी रहेंगे.हम उनकी निशानियों से जुड़े रहेंगे लेकिन उनसे सम्वंधित संस्थानों के सगुण उपासना सम्बंधी कार्यक्रमों मेँ सम्मिलित होने का इच्छुक नहीं रहा हूँ. मैं तो प्राणायाम , स्वाध्याय .अध्ययन ,शास्त्रार्थ व मेडिटेशन पर विश्वास रखता हूँ .

शर्मा जी ने ठीक ही कहा है कि मनुष्य कुछ और नहीं ,भटका हुआ देवता है.दरअसल मानव अभी अपने को ही नहीं पहचाना है .स्थूल मेँ जीता है.


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मेरें Nokia फ़ोन से भेजा गया

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