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Saturday 13 November, 2010

माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक महासभा उ.प्र. : सेवा या राजनीति....?!

----Forwarded Message----
From: akvashokbindu@yahoo.in
To: akvashokbindu@yahoo.in
Sent: Sat, 13 Nov 2010 19:14 IST
Subject: माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक महासभा उ.प्र. : सेवा या राजनीति....?!

दिन बुधवार,नवम्बर2010ई0 को स्नातक निर्वाचन खण्ड का चुनाव था.मैँ अपना वोट माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक महासभा उ प्र के अधिकृत प्रत्याशी संजय कुमार मिश्र को देकर 11.00AM को तिलहर पहुँच गया.'मर्म युग'मासिक पत्रिका के सम्पादक ओम प्रकाश गुप्ता के साथ तिलहर के अन्दर अनेक व्यक्तियोँ से मिलने पहुँचा.इस क्षेत्र मेँ कुछ वित्तविहीन शिक्षकोँ के लिए आज का दिन क्रान्ति दिवस से कम न था.एक
ओर योग गुरु स्वामी रामदेव से मुलाकात व दूसरी ओर स्नातक निर्वाचन खण्ड का चुनाव ! अभी तक हम सभी इस चुनाव मेँ भाजपा प्रत्याशी नेपाल सिँह को वोट देते आये थे. आज यह पहला अवसर था जब हम अपने ग्रुप अर्थात वित्तविहीन शिँक्षकोँ मेँ से एक शिक्षक को अपना वोट दे रहे थे.अभी तक हम,माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षकोँ के हित की बात करने वाला कौन था ? अब हमारे सामने अपनी बात कहने के लिए एक मंच है-"
माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक महासभा उ प्र . "


लेकिन......

पीलीभीत ,बरेली,बण्डा,मीरानपुर कटरा , तिलहर , आदि क्षेत्र मेँ अनेक वित्तविहीन शिक्षकोँ व सम्बन्धित सम्बन्धियोँ से बातचीत कर इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि अभी तो माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक महासभा उ प्र के पदाधिकारियोँ प्रति ही लोग सन्तुष्ट नहीँ हैँ. " दाऊ के घर रहना है तो दाऊ की सहना " - वाली कहावत है.बेरोजगारी की मार! इन वित्तविहीन कालेजोँ मेँ हम मजबूरन पढ़ा रहे हैँ.अभी
हमको तो तीन चार साल ही पढ़ाते हुए हैँ,लोगोँ ने अपनी जिन्दगी बिता दी,उन्हेँ तक विश्वास नहीँ कि कब क्या हो जाए ? विद्यालय पर हावी कुछ व्यक्ति कुछ भी कर सकते हैँ.जिसमेँ यह'माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक महासभा क्या कर सकती है ? ' कुछ दिन पूर्व पंचायत के चुनाव थे.इन्हीँ कुछ व्यक्तियोँ मेँ से कुछ चुनाव मेँ उम्मीदवार थे,उनकी क्या नीति है अपने स्कूलोँ के प्रति ? विद्यालय को एड की
प्रक्रिया के दौरान किनको किनको चयनित किया जाता है?जिसकी प्रतिक्रिया पंचायत चुनाव मेँ तक देखने को मिल रही थी.अब फिर इस चुनाव मेँ....!?
एक का कहना था कि अरे भाई , हम तो दूध मेँ मक्खी के समान हैँ.हम स्वयं चाहते हैँ कि माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक महासभा उ प्र की जी जान से मदद करेँ लेकिन कैसे? किस आधार पर?

एक शिक्षक का कहना था कि हमेँ तो यहाँ सभी वित्तविहीन शिक्षकोँ के हक की लड़ाई नहीँ लगती,मात्र राजनीति लगती है.
हर वित्तविहीन शिक्षक के हक की बात करना चाहते हैँ क्या यह लोग ?

" स्वयं आप के उम्मीदवार क्या हैँ?खुले आम अपने कालेज मेँ गाली देते फिरते हैँ.बस,वे राजनीति करते फिरते हैँ.यदि दम है आप की महासभा मेँ तो बोर्ड परीक्षा का बहिष्कार क्योँ नहीँ करते?पूरी की पूरी यूपी सरकार हिल जाए.भला सिर्फ उन्हीँ का होना है ,जो इसके पदाधिकारी हैँ या जो इनकी हाँ हजूरी करते हैँ. एड के मौके पर अनेक वित्तविहीन शिक्षक दूध मेँ से मक्खी की तरह निकाल दिए जाएंगे.देख
तो रहे हो पड़ोस मेँ....स्वयं न्याय कर नहीँ सकते,सरकार से उम्मीदेँ रखते हो.यदि न्याय की बात है तो विद्यालय कमेटी व उन प्रधानाचार्योँ पर आप क्या दबाव डलवाएँगे जो एड की प्रकिया मेँ वास्तव मेँ हकदार को शामिल करेँ. "-एक वित्तविहीन शिक्षक के एक सम्बन्धी का कहना था.

एक वित्तपोषित शिक्षक कहते हैँ कि पुराने किले को ध्वस्त करना ऐसे आसन नहीँ है.


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