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Thursday 5 August, 2010

JAI SHIVANI

----Forwarded Message----
From: akvashokbindu@yahoo.in
To: akvashokbindu@yahoo.in
Sent: Wed, 04 Aug 2010 14:26 IST
Subject: JAI SHIVANI

आदिशक्ति माँ को कौन भूल सकता है?पहले उसे मातृशक्ति कहा गया फिर दुर्गोँ की उत्पत्ति के साथ माँ दुर्गा.विभिन्न परिस्थिति मेँ विभिन्न नाम.एक नाम -शिवानी.


नर से बढ़ कर नारी...

लेकिन कौन सी नारी?

नारी यानि कि स्त्रैण चित्त वाली!

स्त्रैण गुण क्या? अर्थात स्त्रैणता क्या?


स्त्रैणता यानि कि सेवा,प्रेम,मानवता, नम्रता,क्षमा,आदि गुण से युक्त.

ऐसे मेँ वास्तव मेँ जहाँ नारी का सम्मान है वहाँ स्वर्ग है.


अध्यात्म मेँ नारी शक्ति को मातृशक्ति के नाम से जाना जाता है.

पुरुषार्थ के चार स्तम्भ हैँ-,धर्म ,अर्थ ,काम,मोक्ष.जो नारी व्यक्ति ,परिवार,समाज,आदि को धर्म व मोक्ष की ओर ले जाए तथा मानवसत्ता पुत्र भाव से देखे?


यह क्या बकबास लिखते हो ?

आज स्वयं नारी भी क्या स्वीकार करने के लिए तैयार है?


खैर....


जय शिवानी!

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