Powered By Blogger

Saturday 26 March, 2011

भारत स्वाभिमान यात्रा / ट्रस्ट !



भारत स्वाभिमान यात्रा / ट्रस्ट !



यहाँ पर तीन शब्द - भारत,स्वाभिमान यात्रा /ट्रस्ट.



भारत !


भारत यानि कि भा रत,प्रकाश मे रत.
ज्ञान मे जो रत है, वह भारत है.सृष्टि के वाद प्रकृति अनुशीलन व प्रकृति से भय ने मनुष्य मे भक्ति पैदा की .भक्ति के दो मार्ग पैदा हुए -सगुण व निर्गुण.प्रकृति पांच तत्वों से निर्मित होती है-अग्नि,आकाश, जल,वायु और पृथ्वी.इन्हीं पांचो तत्वों को आदि भक्तों ने सम्मानित किया.जो ज्ञान उत्पन्न हुआ,सिन्धु के इस पार नाम दिया गया-वेद.जिसे ऋग्वेद मे संकलित किया गया,सिन्धु के उस पार अवेस्ता मे .सनातन ज्ञान ने सत का आभास दिया . जिससे सत तक की यात्रा व अन्तर्यात्रा का मार्ग प्राप्त हुआ.मानव को महामानव बनाने व वेदान्त तक की यात्रा का प्रबन्धन-ऋग्वैदिक संस्कृति के माध्यम से.ओशो ने कहा है ,'भारत सनातन यात्रा का नाम है' .भा रत अर्थात ज्ञान मे लीन सदा गतिशील रह कर यात्रा करते रह ही सत तक पहुंच सकता है.तरंगों,ऊर्जा ,प्रकाश , ऊष्मा,आदि का स्वभाव होता है -गतिशीलता. चक्र अर्थात SYSTEM अर्थात लतीफ,सूफी सन्तों ने चक्र को लतीफ कहा है- मूलाधार,स्वाधिष्ठान,मणिपूर, हृदय ,अनाहत, आज्ञा,सहस्रार .यह चक्र व इन चक्रों से ऊपर उठना भी एक यात्रा है.एक सूफी सन्त कहता है कि मेरा धर्म है-अन्तर्यात्रा.



स्वाभिमान !

स्वाभिमान शब्द दो शब्दों से बना है-स्व व अभिमान. ' स्व ' क्या है? 'स्व' है -आत्मा या परमात्मा.
स्व तक हम नैतिकता व कानूनों के माध्यम से पहुँच सकते हैं .कानूनों में यदि कमियां हैं तो उनमे सुधार किया जाता है.



यात्रा!
गतिशीलता शाश्वत नियम है.मानव की दो यात्राएं है-स्थूल यात्रा व अन्तर्यात्रा.




अपना ट्रस्ट यानि कि अपना लक्ष्य !


दुनिया मे अपना सर्वश्रेष्ठ परिवार वह होता है ,जो कि अपना लक्ष्य समूह होता है.लक्ष्य समूह क्या है?वह समूह जिसके सदस्यों का एक विशेष लक्ष्य समान होता है .




शेष फिर-



ASHOK KUMAR VERMA'BINDU'



A.B.V.INTER COLLEGE,


meeranpur katra,

shahjahanpur. U.P.

No comments: