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Saturday, 26 March 2011

लोहिया जन्म शताब्दी वर्ष



देश लोहिया जन्मशती मना रहा है.



तरुण विजय के अनुसार सबने अपने अपने लोहिया थामे हुए हैं.लोहिया ने भारत के तीन स्वप्न शिव,राम और कृष्ण गिनाए थे.कैलाश मानसरोवर वापिस लेने की बात की थी.पूर्वांचल को उर्वशीयम के रूप से व्याख्यायित करने वाला उनका लेखन रोमांचित करता है.उनमे राजनीतिक साहस था.सो दीनदयाल उपाध्याय के साथ संयुक्त बयान भी दे सके,अखण्ड भारत के संदर्भ मे.दूसरो की बात सुनना और अपनी बात सुनाना,मानना और मनवाना, लोहिया के स्वभाव का हिस्सा था.यही स्वपन था दीनदयाल उपाध्याय और जयप्रकाश नारायण का.हिन्दुस्तान मे सात करोड़ लोगों के सिर पर छत नही है,पैतीस प्रतिशत लोग निरक्षर है और महिलाओं मे यह निरक्षरता पैतालिस प्रतिशत है.शिक्षा और कृषि के क्षेत्र मे विदेशियो के लिए खोल दिए है. इंफोर्मेशन टेक्नोलाजी के बारे मे बहुत बोलते है.लेकिन तमाम सूचनाओं और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र मे अंग्रेजी का ताला लगा है.जो भारतीय भाषाओ का जानने वाले ग्रामीण युवक है उनके लिए यह आईटी क्रान्ति का कोई अर्थ नही रखती है,क्योकि जब तक वे अंग्रेजी नहीं जानेगे तब तक वे इस आईटी का उपयोग नही कर सकते.



समाजवादी पार्टी बदायूं के जिलाध्यक्ष बनवारी सिंह यादव का मानना है कि
गरीब की कमर तोड़ी बढ़ती मंहगाई मे लोहिया का दाम बांधो नीति और भी अधिक प्रसांगिक हो गई है.



समाजवादी आन्दोलन के चाणक्य राम मनोहर लोहिया के जन्मशताब्दी
वर्ष पर लोहिया के विकास माडल पर देश को विचार व मन्थन की आवश्यकता है.तरुण विजय के अनुसार ही सब वैचारिक बंधनों से परे सिर्फ भारत पर केन्द्रित युवा देशभक्तों की ताकत से भारत की तकदीर बदलेगी.आज भी जयप्रकाश,लोहिया और दीनदयाल उपाध्याय की धारा से स्पंदित हृदय मिल सकते हैं.उन्हें करो या मरो नीति के आधार पर गांव गांव जा कर अलख जगाना होगा.मतभेदो से ऊपर उठ कर गुजरात व बिहार के विकास माडल पर हर नागरिक को प्रेरणात्मक दृष्टि डालना आवश्यक है.
जातिसम्प्रदाय विशेष की राजनीति से ऊपर उठ कर विकास माडल को स्वीकार करना आवश्यक है.



अन्ना हजारे,आदि आदर्श पुरुषों की देश मे कमी नही है लेकिन उनके आधार पर देश को सिर्फ आगे बढ़ने की आवश्यकता है.

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