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Monday 5 April, 2021

नक्सली हिंसा के बीज खत्म होने ही चाहिए:::अशोकबिन्दु


 नक्सली हिंसा के बीज ही खत्म कर देने होंगे।आखिर ऐसा क्या है जब नक्सली आंदोलन शुरू हुआ था तो सारी दुनिया में उसकी प्रशंसा हुई थी?जब ये आंदोलन हिंसक होगया तो अलग थलग पड़ गया।हमें जड़ तक जाने की जरूरत है। कहने को तो देश सन 1947 में आजाद ही गया लेकिन....!?::अशोकबिन्दु


आखिर ऐसा क्या है जो आदि काल से वन्यसमाज के साथ होता रहा है?वन्य समाज आखिर हथियार क्यों उठाए?उनकी हिंसा के खिलाफ सरकारों को फाइनल डिसीजन लेना ही चाहिए। लोकतंत्र में अंदरूनी हिंसा बेईमानी है।अंदुरुनी हर हिंसा के खिलाफ सरकारों को सक्रिय होने की जरूरत है। वन्य समाज की क्या समस्याएं हैं इस पर भी देश व देश भक्तों को सक्रिय होने की जरूरत है।


हमें अफसोस है कि हमारे देश के जवान अंदुरुनी हिंसा में भी अपनी जान गंवाते हैं।यदि देश भक्त जनता को थोड़ी भी दया है तो हमें नक्सली हिंसा की जड़ तक पहुंचने की जरूरत है। जनतंत्र में हिंसा उचित नहीं।

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